मिजोरम अब देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां भीख मांगने पर पूरी तरह प्रतिबंध होगा। विधानसभा में ‘मिजोरम भिक्षावृत्ति निषेध विधेयक 2025’ विपक्ष की आपत्तियों के बीच पास हो गया। इस बिल का मकसद सिर्फ भीख मांगने पर रोक लगाना नहीं है, बल्कि जरूरतमंदों को रोजगार और पुनर्वास का अवसर देना भी है।
सरकार का उद्देश्य: रोक के साथ पुनर्वास
मिजोरम की समाज कल्याण मंत्री लालरिनपुई ने सदन में बिल पेश करते हुए कहा कि:
- राज्य का लक्ष्य भिखारियों को स्थायी आजीविका विकल्प प्रदान करना है।
- केवल भीख पर निर्भर रहने के बजाय उन्हें आत्मनिर्भर बनाना होगा।
- यह कदम सामाजिक ढांचे और राज्य की छवि को मजबूत करेगा।
क्यों उठाया गया यह कदम?
मंत्री ने चिंता जताई कि मिजोरम में फिलहाल भिखारियों की संख्या कम है, लेकिन आने वाले समय में यह चुनौती बढ़ सकती है।
- सैरांग-सिहमुई रेलवे स्टेशन की शुरुआत के बाद अन्य राज्यों से भिखारियों के आने की आशंका बढ़ जाएगी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को इस रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे।
- सरकार का मानना है कि कड़े नियामक ढांचे से राज्य को भिखारियों से मुक्त रखा जा सकता है।
राहत बोर्ड और ‘रिसीविंग’ केंद्र
विधेयक के तहत सरकार एक राज्य स्तरीय राहत बोर्ड बनाएगी। इसके तहत:
- भिखारियों को रखने के लिए ‘रिसीविंग सेंटर’ स्थापित होंगे।
- यहां उन्हें अस्थायी तौर पर रखा जाएगा।
- 24 घंटे के भीतर भिखारियों को उनके मूल राज्य या घर भेज दिया जाएगा।
विपक्ष की आपत्ति
हालांकि, इस विधेयक पर विपक्ष ने नाराजगी जताई।
- मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के नेता लालचंदमा राल्ते ने कहा कि यह बिल ईसाई धर्म और राज्य की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है।
- विपक्ष का तर्क था कि यह कानून धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अनुचित है।
- लंबी चर्चा के बाद सदन ने बिल पारित कर दिया, जिसमें 13 सदस्यों ने हिस्सा लिया।
वर्तमान स्थिति
एक सर्वे के अनुसार, राजधानी आइजोल में अभी 30 से अधिक भिखारी मौजूद हैं, जिनमें गैर-स्थानीय भी शामिल हैं। सरकार का दावा है कि इस विधेयक के लागू होने के बाद न केवल भिखारियों की समस्या खत्म होगी बल्कि उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर भी मिलेगा।





