आत्मनिर्भर भारत की सच्चाई पर राहुल गांधी का सवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे सिर्फ एक भाषण और प्रचार का माध्यम बताया और सुझाव दिया कि इसका नाम ‘असेंबल इंडिया’ कर देना चाहिए, क्योंकि देश में असली विनिर्माण (Manufacturing) नहीं बल्कि केवल विदेशी पुर्जों की असेंबली हो रही है।
भारत में मैन्युफैक्चरिंग का गिरता स्तर
राहुल गांधी के अनुसार:
- देश की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान घटकर सिर्फ 14% रह गया है।
- भारत में मैन्युफैक्चरिंग रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुका है।
- बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है, जिससे युवाओं में असंतोष है।
- चीन से आयात दोगुना हो चुका है, जिससे भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता पर असर पड़ा है।
‘मेक इन इंडिया’ या ‘असेंबल इंडिया’?
राहुल गांधी ने कहा:
“भारत का विनिर्माण उद्योग केवल चीन से आए पुर्जों को जोड़ने तक सीमित रह गया है।”
- भारत में 80% टीवी चीन से आए पार्ट्स के साथ केवल असेंबल किए जाते हैं।
- हाल ही में उन्होंने ग्रेटर नोएडा की एक टीवी और एसी बनाने वाली फैक्ट्री का दौरा किया, जहां हर दिन लगभग 20,000 टीवी बनाए जाते हैं, लेकिन उनमें अधिकांश पुर्जे विदेशों से आयातित होते हैं।
छोटे कारोबारियों पर कर और नीतिगत दबाव
राहुल गांधी ने कहा कि:
- छोटे उद्यमियों को न तो पर्याप्त समर्थन मिलता है, न ही वे बड़ी कंपनियों से मुकाबला कर पाते हैं।
- सरकार की नीतियां केवल बड़े कॉरपोरेट्स के हित में होती हैं।
- भारी कर बोझ और नीति स्पष्टता की कमी के कारण नई कंपनियां टिक नहीं पातीं।
आत्मनिर्भर भारत के लिए क्या जरूरी है?
राहुल गांधी के सुझाव:
- केवल प्रचार नहीं, जमीनी स्तर पर उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी।
- भारत को पुर्जे जोड़ने वाले देश से बदलकर मूल निर्माण में अग्रणी बनना होगा।
- इसके लिए चाहिए:
- नीति सुधार
- टेक्नोलॉजी में निवेश
- घरेलू उद्यमों को समर्थन
- आयात पर निर्भरता कम करना
चीन को टक्कर देने की ज़रूरत
राहुल गांधी का मानना है कि अगर भारत को वाकई आत्मनिर्भर बनना है, तो उसे:
- चीन जैसे देशों को विनिर्माण के क्षेत्र में सीधी टक्कर देनी होगी।
- इसके लिए स्थानीय इनोवेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और मेक इन इंडिया की सोच को व्यवहारिक रूप देना होगा।
निष्कर्ष: केवल भाषणों से नहीं बनेगा आत्मनिर्भर भारत
राहुल गांधी का यह बयान भारत की मौजूदा औद्योगिक स्थिति पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। उनका कहना है कि जब तक भारत खुद निर्माण नहीं करेगा, तब तक ‘मेक इन इंडिया’ एक खोखला नारा ही रहेगा। असली बदलाव के लिए नीति, नीयत और नवाचार तीनों की ज़रूरत है।





