BY: Yoganand Shrivastva
इटावा (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के इटावा में एक कथावाचक से जुड़े मामले ने नया मोड़ ले लिया है। कथावाचक मुकुट मणि यादव के पास से दो आधार कार्ड मिलने के बाद न केवल पुलिस, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक संगठनों में भी हलचल मच गई है। दोनों कार्ड में फोटो एक ही व्यक्ति की है, लेकिन नाम अलग-अलग दर्ज हैं—एक पर मुक्त सिंह, जबकि दूसरे पर मुकुट मणि अग्निहोत्री लिखा गया है। आश्चर्य की बात ये है कि दोनों कार्ड में आधार नंबर समान हैं। पुलिस ने दस्तावेजों को जब्त कर जांच शुरू कर दी है कि यह फर्जीवाड़ा कैसे और कहां हुआ।
महिला ने लगाया छेड़खानी का आरोप
इस विवाद में नया पहलू तब जुड़ा जब एक महिला कथावाचक के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत लेकर एसएसपी कार्यालय पहुंची। महिला का कहना है कि वह कथा के दौरान परीक्षित की भूमिका निभा रही थी और कथावाचक को वह पूज्य मानती थी, लेकिन कथावाचक के व्यवहार में अशोभनीय परिवर्तन आ गया। आरोप है कि जब हरकतें असहनीय हो गईं, तब उनसे माफी मंगवाई गई।
ब्राह्मण महासभा ने जताई नाराजगी
कथावाचक पर लगे आरोपों और आधार कार्ड विवाद के बाद ब्राह्मण महासभा ने सख्त रुख अपनाया है। महासभा ने आरोप लगाया कि कथावाचक ने अपनी जाति को छुपाया, धार्मिक भावनाएं भड़काईं और महिलाओं के साथ अनुचित व्यवहार किया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने कठोर कार्रवाई नहीं की, तो वे विरोध प्रदर्शन और आंदोलन करेंगे।
सियासत भी गरमाई: अखिलेश के बाद तेजस्वी की भी एंट्री
यह मामला अब केवल धार्मिक या सामाजिक नहीं रहा, बल्कि पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मामले को उठाया और अब बिहार में चुनावी वर्ष में तेजस्वी यादव ने भी बयान देकर इसे जातिगत मुद्दा बना दिया है।
तेजस्वी यादव का बयान
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा:
“अगर कोई पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति कथावाचक बनता है तो उसका अपमान होता है, उसका सिर मुंडवाया जाता है, नाक रगड़वाई जाती है। यह दिखाता है कि हमें चढ़ावा देने और सुनने के लिए तो स्वीकार किया जाता है, लेकिन कथा सुनाने के लिए नहीं। यह सामाजिक अन्याय है। हम बहुसंख्यक हैं और अगर बिहार में ऐसा कुछ हुआ तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”
फिलहाल क्या हो रहा है?
- पुलिस ने दोनों आधार कार्ड अपने कब्जे में ले लिए हैं और उनकी प्रामाणिकता की जांच कर रही है।
- महिला द्वारा लगाए गए छेड़छाड़ के आरोपों की जांच भी चल रही है।
- ब्राह्मण महासभा ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
- राजनीतिक दल इसे जातीय गोलबंदी का माध्यम बना रहे हैं, खासतौर पर चुनावी राज्य बिहार में।
इटावा में कथावाचक से जुड़ा यह प्रकरण अब सिर्फ कानूनी ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक विमर्श का विषय बन गया है। जहां एक तरफ पहचान और नैतिकता पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जातीय असमानता और धार्मिक नेतृत्व को लेकर बहस तेज हो गई है।