ग्वालियर को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन नतीजा क्या निकला? शहर की सड़कें अब भी अव्यवस्थित हैं और हाईटेक सुविधाएं शोपीस बनकर रह गई हैं। स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा लगाए गए वैरिएबल मैसेज साइन बोर्ड (VMS) और ट्रैफिक पुलिस द्वारा लगाए गए सौर ऊर्जा ट्रैफिक सिग्नल आज जंग खा रहे हैं।
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VMS बोर्ड: हाईटेक तकनीक, लेकिन कोई देखभाल नहीं
क्या था मकसद?
- 10 स्थानों पर 3 करोड़ रुपये की लागत से VMS बोर्ड लगाए गए थे।
- इनका उद्देश्य था:
- लाइव ट्रैफिक अपडेट देना
- मौसम की जानकारी देना
- पॉल्यूशन इंडेक्स दिखाना
- यातायात नियमों की जागरूकता बढ़ाना
वर्तमान स्थिति
- डीडी मॉल, गोले का मंदिर, रेलवे स्टेशन, सिंधिया चौराहा जैसे प्रमुख स्थानों पर ये बोर्ड बंद पड़े हैं।
- इनसे कोई जानकारी नहीं मिल रही, सिर्फ खंभों पर लटके नजर आते हैं।
सौर ऊर्जा ट्रैफिक सिग्नल: 8 साल में बर्बादी की मिसाल
कहां लगे थे सिग्नल?
- ट्रैफिक पुलिस ने 20 स्थानों पर सौर ऊर्जा चालित ट्रैफिक सिग्नल लगाए थे।
- प्रमुख स्थानों में:
- राजमाता चौराहा
- एसपी ऑफिस तिराहा
- थाटीपुर तिराहा
- महाराज बाड़ा
- गुरुद्वारा पुल तिराहा
- हुजरात कोतवाली
अब क्या हालत है?
- अधिकांश सिग्नल खराब या टूटे हुए हैं।
- गुरुद्वारा तिराहा का सिग्नल खतरनाक स्थिति में झुका है।
- कई स्थानों पर लाइट्स भी नहीं बची हैं।
2023 में लगे नए ट्रैफिक सिग्नल: एक और फेल्योर
क्या उम्मीद थी?
- पांच नए ट्रैफिक सिग्नल सफेद खंभों पर लगाए गए थे।
- इन पर 70 लाख रुपये खर्च हुए।
हकीकत क्या है?
- एक भी सिग्नल ट्रैफिक कंट्रोल नहीं कर पाया।
- चिरवाई नाका सहित सभी जगहों पर सिग्नल बंद पड़े हैं, लाइट्स झुकी हुई हैं।
आईटीएमएस प्रोजेक्ट: एकमात्र उम्मीद
- ग्वालियर में वर्तमान में आईटीएमएस (Integrated Traffic Management System) ही काम कर रहा है।
- 54 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के तहत 31 स्थानों पर ट्रैफिक मॉनिटरिंग की जा रही है।
- इससे ट्रैफिक कंट्रोल में सुधार और स्मार्ट सिटी को इनकम हो रही है।
क्या कुछ सुधरेगा?
- स्मार्ट सिटी प्रशासन ने बंद पड़े प्रोजेक्ट्स की समीक्षा के लिए कमेटी बनाई है।
- VMS बोर्ड के दोबारा उपयोग की योजना पर काम चल रहा है।
- कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
ग्वालियर की स्मार्ट सिटी परियोजनाएं सिर्फ नाम की स्मार्ट हैं। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद ट्रैफिक कंट्रोल से लेकर सूचना तंत्र तक कुछ भी कारगर नहीं रहा। अब सवाल ये उठता है कि क्या प्रशासन नींद से जागेगा या जनता का पैसा यूं ही बर्बाद होता रहेगा?





