ईरान और इजरायल के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। हाल ही में इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर घातक हमला किया, जिसमें ईरान के चार शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। इस घटना के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने चेतावनी दी है कि इजरायल को इसके लिए “कड़ी सजा” भुगतनी पड़ेगी।
खामेनेई का बयान: “इजरायल के खून से सने हैं हाथ”
ईरानी सरकारी समाचार एजेंसी IRNA के मुताबिक, खामेनेई ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा:
“इजरायल ने हमारे प्यारे देश पर हमला कर अपने खून से सने हाथों को और अधिक बेनकाब कर दिया है। हमारे घरों पर हमले कर उसने अपनी असली क्रूरता दुनिया के सामने रख दी है।”
इस हमले में न केवल वैज्ञानिकों की जान गई, बल्कि ईरान की सैन्य तैयारियों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा है।
इजरायल ने किए कई हवाई हमले
शुक्रवार सुबह ईरान की राजधानी तेहरान में जोरदार धमाकों की आवाज़ें सुनी गईं। सूत्रों के अनुसार:
- इजरायल ने ईरान के परमाणु संयंत्रों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया।
- यह ऑपरेशन बेहद गुप्त तरीके से अंजाम दिया गया।
- इजरायल की सरकार ने हमलों के बाद आपातकाल की घोषणा कर दी है।
संभावित ड्रोन और मिसाइल हमले का खतरा
इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलंट काट्ज़ ने बताया कि अब इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन से पलटवार होने की संभावना है। उन्होंने कहा:
“निकट भविष्य में इजरायल की नागरिक आबादी को निशाना बनाकर हमला हो सकता है। सभी नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए।”
वैश्विक असर: तेल की कीमतों में उछाल
इस सैन्य टकराव का असर सिर्फ मध्य-पूर्व तक सीमित नहीं रहा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके असर के रूप में:
- तेल की कीमतों में लगभग 6% की वृद्धि दर्ज की गई।
- निवेशकों में अनिश्चितता और घबराहट देखी जा रही है।
- अमेरिका ने अपने क्षेत्रीय स्टाफ की संख्या घटानी शुरू कर दी है।
ट्रंप की चेतावनी हुई सच?
हमले से कुछ दिन पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान की संभावित जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका इस क्षेत्र में अपने स्टाफ को कम करने की योजना बना रहा है। यह हमले शायद उसी आशंका की पुष्टि हैं।
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क्या बढ़ेगा युद्ध का खतरा?
ईरान और इजरायल के बीच ये घटनाएं साफ संकेत हैं कि दोनों देशों के बीच तनाव अब युद्ध की कगार पर पहुंच चुका है। जहां एक ओर ईरान ने प्रतिशोध की बात कही है, वहीं इजरायल संभावित पलटवार के लिए तैयार है। आने वाले दिनों में यह मामला सिर्फ दो देशों का न रहकर वैश्विक राजनीति और ऊर्जा बाज़ार को भी प्रभावित कर सकता है।