मुख्य बिंदु:
- भोपाल के आदमपुर लैंडफिल साइट पर भीषण आग, 10 किमी दूर से दिखाई दी लपटें।
- 200 से अधिक टैंकर पानी के बाद भी आग काबू में नहीं, धुएं ने आधे शहर को जहरीली हवा में ढक लिया।
- निवासियों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन; दृश्यता घटकर 20-30 मीटर रह गई।
- पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष पांडे का आरोप: “18 महीने में 12वीं बार लगी आग, नगर निगम की लापरवाही।”
क्या हुआ?
मंगलवार को भोपाल के आदमपुर कचरा डंपिंग यार्ड में अचानक आग लग गई। यह आग इतनी भयानक थी कि 50 फीट ऊंची लपटें उठने लगीं और 10 किलोमीटर दूर तक धुआं दिखाई दिया। आसपास के इलाकों—आदमपुर, हरिपुरा, शांति नगर—में धुएं के कारण दृश्यता शून्य के करीब पहुंच गई।
लोगों पर क्या असर हुआ?
- सुषमा (शांति नगर निवासी): “आंखें जल रही हैं, सांस लेने में दिक्कत हो रही है। अगर यहां रुकी तो दम घुट जाएगा!”
- मजदूरों ने काम छोड़ा: आग की तीव्रता देखकर कचरा बीनने वाले मजदूर और सुरक्षाकर्मी भाग खड़े हुए।
- पर्यावरणविद् डॉ. पांडे का कहना है: “यह धुआं सीधे फेफड़ों और आंखों को नुकसान पहुंचाता है। आधा भोपाल जहरीली हवा की चपेट में है।”

नगर निगम की लापरवाही?
- पिछला रिकॉर्ड: 2019 में यहां आग लगी थी, जो 27 दिनों तक जलती रही। एक खाद संयंत्र पूरी तरह नष्ट हो गया था।
- डॉ. पांडे का आरोप: “18 महीनों में 12वीं बार आग लगी है। क्या यह संयोग है या जानबूझकर कचरे को जलाया जा रहा है?”
- आग बुझाने में देरी: 200 टैंकर पानी डालने के बाद भी आग पर काबू नहीं मिला। दमकलकर्मियों का अनुमान—एक सप्ताह लग सकता है।
बड़ा सवाल:
- क्या यह आग “दुर्घटना” थी या फिर नगर निगम की लापरवाही का नतीजा?
- कचरा प्रबंधन की व्यवस्था क्यों विफल हो रही है?
- जहरीले धुएं से निपटने के लिए तत्काल क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
निष्कर्ष:
भोपाल जैसे शहर में, जो 1984 की गैस त्रासदी का गवाह रहा है, वायु प्रदूषण को लेकर यह घटना गंभीर चेतावनी है। नगर निगम को कचरा प्रबंधन और आग की रोकथाम के लिए ठोस कार्ययोजना बनानी होगी, नहीं तो ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी।