by: vijay nandan
नई दिल्ली: लाल किला कार ब्लास्ट मामले की जांच तेज़ी से आगे बढ़ रही है और इसी बीच एनआईए को एक और बड़ी सफलता मिली है। ताज़ा कार्रवाई में एजेंसी ने एक और संदिग्ध को गिरफ्तार किया, जिसके बाद इस टेरर मॉड्यूल की खतरनाक प्लानिंग का खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि आरोपी ड्रोन और छोटे रॉकेट का इस्तेमाल कर आतंकी संगठन हमास जैसी तकनीक से सिलसिलेवार हमलों की तैयारी कर रहे थे।
एक और कश्मीरी युवक गिरफ्तार ‘दानिश’ था आत्मघाती हमलावर का करीबी, एनआईए ने बताया कि गिरफ्तार किया गया युवक जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड का रहने वाला है।
एजेंसी के मुताबिक दानिश, आत्मघाती हमलावर उमर का बेहद करीबी सहयोगी था। यह गिरफ्तारी श्रीनगर में छापेमारी के दौरान हुई है। दानिश ने कई तकनीकी तैयारियों में मदद की थी। जांच में सामने आया कि वह ड्रोन को मॉडिफाई करने और मिनी-रॉकेट तैयार करने की कोशिश कर रहा था। यह तैयारी कार ब्लास्ट से पहले की जा रही थी।

ड्रोन में बम फिट कर ‘सीरियल ब्लास्ट’ का प्लान
एनआईए सूत्रों के अनुसार दानिश, ड्रोन में कैमरा और हाई-पावर बैटरी लगाने, उन्हें विस्फोटक ले जाने लायक मॉडिफाई करने, छोटे लेकिन शक्तिशाली रॉकेट तैयार करने, जैसे कार्यों में शामिल था। योजना यह थी कि इन ड्रोन में बम लगाकर उन्हें भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में गिराया जाए, ताकि कम समय में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जा सके। एजेंसियों का कहना है कि यह तकनीक हमास और आईएस जैसे समूहों द्वारा मध्य पूर्व के युद्ध क्षेत्रों सीरिया, इराक, इज़राइल और अफगानिस्तान में इस्तेमाल की गई शैली से मिलती-जुलती है।
#WATCH | Delhi terror blast case: Bomb disposal squad and dog squad team at Patiala House Court ahead of the production of accused Jasir Bilal alias Danish by the National Investigation Agency (NIA) pic.twitter.com/XqOOZyL9HN
— ANI (@ANI) November 18, 2025
कार ब्लास्ट ने खोली बड़ी साजिश की परत
दिल्ली में हुए कार धमाके ने पूरे मॉड्यूल का भंडाफोड़ कर दिया। शुरुआती जांच के बाद ही एजेंसियों को अहसास हुआ कि यह सिर्फ एक कार ब्लास्ट नहीं, बल्कि एक बहु-स्तरीय, योजनाबद्ध आतंकी नेटवर्क की शुरुआत थी।
इसके बाद ही कई और संदिग्धों को चिन्हित किया गया और दानिश की गिरफ्तारी हुई। सूत्रों के अनुसार, अगर यह मॉड्यूल सफल होता, तो राजधानी में ड्रोन-आधारित हमलों की श्रृंखला अंजाम दी जा सकती थी, जिससे भारी जनहानि की आशंका थी।
हमास-स्टाइल अटैक क्या होता है?
- इस तरीके में ड्रोन को ही एक ‘फ्लाइंग बम’ में बदल दिया जाता है।
- इसे दूर से नियंत्रित किया जाता है
- सीधे लक्ष्य पर गिराया जाता है
- एक ही समय में कई ड्रोन छोड़े जाएं तो नुकसान कई गुना बढ़ जाता है
विशेषज्ञों का कहना है कि यह तरीका बेहद खतरनाक है, क्योंकि इससे कम संसाधनों में अधिक नुकसान किया जा सकता है।





