BY: Yoganand Shrivastva
इंदौर: नशे की एक दर्दनाक सच्चाई सामने आई है। यहां एक 10 साल के मासूम की दोनों किडनियां खराब हो गईं। यह हालत किसी बीमारी या हादसे से नहीं, बल्कि पिछले दो वर्षों से किए जा रहे व्हाइटनर, थिनर और पेट्रोल जैसे जहरीले नशे की वजह से हुई है।
सड़क किनारे बेसुध मिला बच्चा
कुछ दिन पहले मूसाखेड़ी क्षेत्र में सड़क किनारे एक 10 वर्षीय बच्चा अचेत अवस्था में मिला था। उसे तत्काल एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उसकी दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं। अब बच्चे का नियमित डायलिसिस चल रहा है।
व्हाइटनर और थिनर के नशे में बर्बाद हुआ शरीर
अस्पताल में इलाज के दौरान जब डॉक्टरों और सेवादारों ने बच्चे से बात की तो पता चला कि वह दो साल से नशे का आदी है। शुरुआत तंबाकू और देसी शराब से हुई, लेकिन बाद में साथियों के बहकावे में आकर उसने व्हाइटनर, थिनर, पेट्रोल और पंक्चर पकाने में इस्तेमाल होने वाले सिलोचन का सेवन शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इस जहरीले नशे ने उसकी किडनियों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया।
मां बोली – काम पर जाती थी, बेटा साथियों के साथ बिगड़ गया
बच्चे की मां के अनुसार, वह केटरिंग का काम करती है और कई दिनों तक घर से बाहर रहती थी। बच्चा नानी के पास रहता था, लेकिन दिन में अपने साथियों के साथ नशा करने चला जाता था। मां ने बताया कि अब बेटे का जीवन केवल इलाज पर निर्भर है, क्योंकि नशे ने उसका सब कुछ छीन लिया है।
इलाके में कई बच्चे नशे की गिरफ्त में
स्थानीय लोगों और सामाजिक संस्थाओं के अनुसार, क्षेत्र में कई बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता सुबह काम पर चले जाते हैं और शाम को लौटते हैं। दिनभर ये बच्चे खुलेआम तंबाकू, देसी शराब, व्हाइटनर और थिनर का सेवन करते हैं। स्टेशनरी की दुकानों से इन्हें आसानी से यह सामान मिल जाता है।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की चेतावनी के बाद भी नहीं रुका कारोबार
राज्य के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले वर्ष सितंबर में इस बढ़ते नशे पर चिंता जताते हुए पुलिस अधिकारियों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि नशा बेचने या करने वालों पर तीन दिनों में कार्रवाई करें, वरना सरकार खुद कठोर कदम उठाएगी। बावजूद इसके, इलाके में नशे का कारोबार अब भी जारी है।
समाज के लिए चेतावनी
यह मामला न सिर्फ प्रशासन बल्कि समाज के लिए भी गंभीर चेतावनी है। छोटे-छोटे बच्चे सस्ते नशे की चपेट में आकर अपना जीवन गंवा रहे हैं। जरूरत है कि अभिभावक और प्रशासन मिलकर इन बच्चों को इस विनाशकारी लत से बचाएं, ताकि कोई और मासूम इस जहरीले रास्ते पर न बढ़े।





