concept- rp shrivastava, by: vijay nandan
जोहो के संस्थापक श्रीधर वेंबू द्वारा युवाओं को 20 की उम्र में शादी और बच्चे प्लान करने की सलाह देने के बाद सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ गई है। एक कार्यक्रम में एक्ट्रेस राम चरण की पत्नी और उद्यमी उपासना कामिनी कोनिडेला के ‘एग फ्रीजिंग’ संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए वेंबू ने कहा कि “शादी और पैरेंटहुड को टालना सही नहीं है।”
उपासना ने IIT हैदराबाद में कहा था कि महिलाओं के लिए एग फ्रीजिंग एक तरह का सुरक्षा कवच है, जिससे वे अपनी शर्तों पर शादी और बच्चे प्लान कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने से वह अपने फैसले खुद ले पाईं। उपासना 2023 में जन्मी बेटी क्लिन कारा की माँ हैं और अब दूसरी बार प्रेग्नेंट हैं।

वेंबू के रिपोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठे कि आज की आर्थिक स्थितियों में क्या 20s में शादी करना व्यावहारिक है? यूज़र्स का कहना है कि बढ़ती महंगाई, अस्थिर इनकम और करियर प्रेशर इस फैसले को मुश्किल बनाते हैं। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि जल्दी फैमिली शुरू करने से जीवन में बेहतर संतुलन आता है।

इसी बीच कई लोगों ने वेंबू के निजी जीवन को लेकर भी प्रतिक्रियाएं दीं। 25 की उम्र में शादी करने वाले वेंबू बाद में ग्रामीण विकास के काम में जुटने के लिए भारत आ गए और उनकी पत्नी-बेटे अमेरिका में रह गए। 2020 में तलाक की ख़बरों के साथ शेयर ट्रांसफर विवाद भी सुर्खियों में रहा, हालांकि वेंबू ने आरोपों से इनकार किया।
वेंबू अपनी सलाह को “डेमोग्राफिक ड्यूटी” बताते हैं यानी घटती जनसंख्या वृद्धि पर चिंता जताते हैं। लेकिन यह बहस साफ दिखाती है कि आज के युवा स्वतंत्रता, करियर और पारंपरिक मूल्यों के बीच संतुलन खोजने की चुनौती से गुजर रहे हैं।

क्या सनातन जीवन दर्शन को भूलते जा रहे भारतीय, इसलिए श्रीधर वेंबू उसे दोहरा रहे ?
श्रीधर वेंबू की फिलॉसफी सनातनी दर्शन ही तो है..सनातन जीवन शैली में हजारों लाखों वर्षों से आश्रम व्यवस्था दी गई है। जो सिर्फ नियम नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित और सार्थक बनाने की सुविचारित प्रणाली है। जन्म से लेकर मोक्ष तक हर उम्र के लिए तय की गई भूमिकाएँ बताती हैं कि मनुष्य कैसे जिम्मेदार, अनुशासित और आध्यात्मिक रूप से विकसित जीवन जी सकता है।
ब्रह्मचर्य आश्रम :25 वर्ष तक ब्रह्मचर्य आश्रम का उद्देश्य है..व्यक्ति शिक्षा, अनुशासन, शारीरिक-मानसिक विकास और चरित्र निर्माण करता है। इसके बाद गृहस्थ आश्रम आता है, जहाँ 25 से 50 वर्ष की आयु में मनुष्य अपनी सबसे अधिक कार्यक्षम अवस्था में होता है। इसलिए उसे परिवार, समाज, अर्थ-उपार्जन और संतानों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी काल में समाज की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था आगे बढ़ती है।
वानप्रस्थ आश्रम: 50 से 75 वर्ष की आयु को वानप्रस्थ आश्रम कहा गया है। इस समय व्यक्ति के अनुभव परिपक्व हो जाते हैं और पारिवारिक जिम्मेदारियाँ कम होने लगती हैं। इसलिए यह समय धीरे-धीरे संसार के आकर्षणों से दूर होकर ध्यान, साधना, अध्ययन और समाज को मार्गदर्शन देने का माना गया है। इससे अगली पीढ़ी को दिशा मिलती है और व्यक्ति आंतरिक शांति की ओर बढ़ता है।
संन्यास आश्रम: 75 वर्ष के बाद जीवन का अंतिम चरण संन्यास आश्रम है। इसमें व्यक्ति पूर्ण रूप से सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आत्मचिंतन, ईश्वर-भक्ति और मोक्ष की साधना में लग जाता है। आश्रम व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मनुष्य जीवन के हर चरण को समझदारी से जीते हुए अंत में आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करे।





