रिपोर्टर: वरूण शर्मा, अपडेट: योगानंद श्रीवास्तव
सतना, मध्यप्रदेश | मध्यप्रदेश के सतना जिले से आई एक के बाद एक दो चौंकाने वाली घटनाओं ने सरकार के आय प्रमाण पत्र जारी करने की प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उचेहरा तहसील के अमदारी गांव निवासी संदीप कुमार नामदेव को जारी किया गया आय प्रमाण पत्र देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। इस प्रमाण पत्र में उसकी सालाना आय ‘शून्य रुपये’ दर्ज की गई थी।
कैसे हुआ खुलासा?
ये प्रमाण पत्र 7 अप्रैल 2025 को जारी हुआ था, लेकिन सोमवार 28 जुलाई को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। प्रमाण पत्र में उल्लेख था कि संदीप की आय बिल्कुल भी नहीं है। हालांकि, तहसील कार्यालय ने इस चूक को स्वीकार करते हुए बताया कि जांच के बाद 20 जुलाई को प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया और संशोधित प्रमाण पत्र में उसकी आय 40 हजार रुपये सालाना दर्ज की गई है।
दूसरा मामला, उससे भी हैरान कर देने वाला
सतना जिले में यह कोई इकलौता मामला नहीं है। कोठी तहसील के नयागांव निवासी रामस्वरूप को 22 जुलाई 2025 को जारी एक आय प्रमाण पत्र में सिर्फ 3 रुपये सालाना आय बताई गई थी। ये प्रमाण पत्र तहसीलदार सौरभ द्विवेदी के हस्ताक्षर से जारी किया गया था। बाद में इसमें सुधार करते हुए उनकी आय 30 हजार रुपये सालाना बताई गई।
प्रशासन हरकत में, कार्रवाई और निर्देश
जैसे ही ये घटनाएं सोशल मीडिया में वायरल हुईं, सतना कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने दोषियों की पहचान करते हुए लोकसेवक कंप्यूटर ऑपरेटरों को प्रशिक्षण दिए जाने के निर्देश जारी कर दिए हैं ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो।
प्रश्न यह उठता है:
- क्या ऐसे प्रमाण पत्रों के जरिए लोग सरकारी योजनाओं का गलत फायदा उठा सकते हैं?
- क्या इन त्रुटियों से वास्तव में ज़रूरतमंद लोगों को योजनाओं से वंचित किया जा सकता है?
- क्यों नहीं है एक मजबूत वैरिफिकेशन सिस्टम जो ऐसी चूक को रोक सके?
इन घटनाओं ने न केवल प्रशासन की तकनीकी और मानवीय त्रुटियों को उजागर किया है, बल्कि उस प्रक्रिया पर भी सवाल खड़ा किया है जिससे हज़ारों लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना तय होता है। एक ‘शून्य’ या ‘3 रुपये’ की गलती कहीं किसी गरीब का हक़ न छीन ले — यही उम्मीद है कि ये घटनाएं भविष्य में सिस्टम को और ज़िम्मेदार बनाएंगी।