BY: Vijay Nandan
नई दिल्ली: मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड्स को न्याय के कटघरे में लाने की दिशा में एक अहम कड़ी जुड़ी है। अमेरिका ने तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को सौंप दिया है, जिसे मुंबई हमलों की साजिश में शामिल एक प्रमुख सहयोगी माना जाता है। हालांकि, इस केस का एक और अहम गवाह और साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली अब भी अमेरिका में ही है और उसे भारत को नहीं सौंपा गया है।
हेडली की गवाही से खुली राणा की भूमिका
डेविड कोलमैन हेडली, जो खुद 26/11 हमलों का मुख्य गवाह और सहभागी रहा है, ने अमेरिकी जांच एजेंसियों के सामने पूरी साजिश का खुलासा किया। उसने बताया कि राणा ने किस तरह से हमले की योजना में मदद की, पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से संपर्क में रहा और लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन दिया।

राणा को सौंपा, हेडली को नहीं
हेडली ने यह भी स्वीकार किया कि उसने भारत में राणा की मदद से रेकी की और मुंबई के कई संवेदनशील स्थानों की जानकारी पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स को दी थी। उसी की गवाही और सबूतों के आधार पर अमेरिका ने राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की।
हालांकि तहव्वुर राणा अब भारत की जांच एजेंसियों की हिरासत में है, लेकिन हेडली को अमेरिका ने अब तक भारत को नहीं सौंपा है। ऐसा माना जाता है कि हेडली अमेरिकी एजेंसियों के साथ प्लिया बार्गेनिंग (Plea Bargain) के तहत सहयोग कर चुका है, जिसके तहत उसे कुछ कानूनी संरक्षण प्राप्त है।
भारत की ओर से कई बार प्रयास किए गए हैं कि हेडली को भारत लाया जाए ताकि उसे सीधे भारतीय कानून के तहत सजा दी जा सके। लेकिन अभी तक अमेरिका ने उसकी extradition को अनुमति नहीं दी है।
क्यों अहम है राणा का प्रत्यर्पण?
राणा को भारत लाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह न केवल हेडली का करीबी था, बल्कि उसने आतंकी नेटवर्क को लॉजिस्टिक और डॉक्युमेंटेशन सपोर्ट भी दिया था। जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि राणा से पूछताछ में 26/11 हमले से जुड़ी और भी गहरी साजिशों का पर्दाफाश हो सकता है।
हेडली को भारत क्यों नहीं सौंपा गया?
- अमेरिका में पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है:
हेडली को अमेरिका में आतंकवाद से जुड़े मामलों में दोषी ठहराया गया है और 35 साल की सजा दी गई है। वह अभी अमेरिकी जेल में है। - प्लिया बार्गेनिंग डील (Plea Bargain):
हेडली ने अमेरिकी जांच एजेंसियों के साथ एक प्ली डील की थी, जिसमें उसने हमलों की जानकारी दी, राणा के खिलाफ गवाही दी और अन्य आतंकी नेटवर्क का खुलासा किया। इस डील के तहत अमेरिका ने वादा किया था कि उसे किसी अन्य देश को नहीं सौंपा जाएगा, जिसमें भारत भी शामिल है। - कूटनीतिक और कानूनी बाधाएं:
अमेरिका अपने नागरिकों को दूसरे देशों को सौंपने में बहुत सावधानी बरतता है, खासकर जब वो पहले से अमेरिकी कानून के तहत सजा काट रहे हों।
क्या भारत ने प्रयास किए?
हाँ, भारत सरकार ने कई बार औपचारिक अनुरोध किया है कि हेडली को भारत लाया जाए ताकि वह यहां ट्रायल का सामना करे। हालांकि अमेरिका ने हर बार इसी प्लिया डील और कानूनी कारणों का हवाला देकर उसे सौंपने से इनकार किया।
डेविड हेडली का भारत को प्रत्यर्पण फिलहाल संभव नहीं है, जब तक कि:
- अमेरिका की सरकार पॉलिसी में बदलाव करे
- या हेडली की सजा पूरी होने के बाद कोई नया समझौता हो
भारत के पास अभी उसकी गवाही और अन्य सबूत ही हैं, जिनके आधार पर तहव्वुर राणा जैसे आरोपियों को भारत लाने और जांच आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
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