BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल क्रियान्वयन के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए एक कूटनीतिक पहल शुरू की है। इसके तहत भारत ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को 33 विशेष देशों में भेजने का फैसला किया है। इस कदम का उद्देश्य वैश्विक समुदाय के समक्ष पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की सच्चाई उजागर करना है। लेकिन सवाल उठता है—इन 33 देशों का ही चयन क्यों किया गया? जवाब है—भारत की इस रणनीति के पीछे गहन सोच और वैश्विक संतुलन की समझ छुपी है।
क्यों चुने गए ये 33 देश?
इन देशों के चयन के पीछे मुख्य रूप से तीन कारण हैं—
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की सदस्यता
- क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
- भारत के रणनीतिक साझेदार
प्रतिनिधिमंडल किन देशों में जाएगा?
प्रतिनिधिमंडल जिन देशों में जाएगा, उनमें शामिल हैं –
सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क, यूरोपीय संघ, अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील, कोलंबिया, स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लात्विया, रूस, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, सिंगापुर, यूएई, लाइबेरिया, कांगो गणराज्य, सिएरा लियोन, मिस्र, कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका।
इन देशों का चयन इस प्रकार किया गया है कि वे लगभग हर महाद्वीप से आते हैं, जिससे भारत की आवाज़ वैश्विक मंच पर गूंज सके।
UNSC से जुड़ी रणनीति
भारत ने ऐसे कई देशों को चुना है जो या तो UNSC के स्थायी सदस्य हैं (जैसे—अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस) या अस्थायी सदस्य हैं (जैसे—डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पनामा, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया, दक्षिण कोरिया)।
इसका उद्देश्य है इन देशों को पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन संबंधी प्रमाण और भारत का दृष्टिकोण साझा करना—खासतौर पर जब पाकिस्तान स्वयं अगले 17 महीनों तक UNSC का अस्थायी सदस्य बना रहेगा।
क्षेत्रीय ताकतों का चयन
भारत ने उन देशों को भी जोड़ा है जो क्षेत्रीय मंचों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं—जैसे:
- सऊदी अरब, यूएई, कतर (GCC के प्रभावशाली सदस्य)
- जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया (ASEAN और पूर्व एशिया के प्रमुख राष्ट्र)
- दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया (अफ्रीकी संघ में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले देश)
इन देशों के साथ भारत के मजबूत आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा साझेदारी हैं। उदाहरण के लिए, मलेशिया ASEAN की अध्यक्षता करने वाला है और भारत के साथ उसका द्विपक्षीय सहयोग ऐतिहासिक रहा है।
रणनीतिक साझेदारों की भूमिका
भारत के परंपरागत सहयोगी और रणनीतिक साझेदार जैसे जापान, रूस, ब्राजील भी इस सूची में शामिल हैं।
- जापान क्वाड समूह का हिस्सा है
- रूस भारत का दीर्घकालिक सैन्य और राजनयिक सहयोगी रहा है
- ब्राजील BRICS और G20 का महत्वपूर्ण सदस्य है
इन देशों के साथ भारत की साझेदारी को और मज़बूती देने के लिए प्रतिनिधिमंडल सीधे संवाद करेगा।
अफ्रीका में कूटनीतिक उपस्थिति
सिएरा लियोन, लाइबेरिया, कांगो गणराज्य और इथियोपिया जैसे अफ्रीकी देशों को चुनने के पीछे दो उद्देश्य हैं:
- भारत की ऐतिहासिक भागीदारी (जैसे UN शांति मिशन में उपस्थिति)
- विकास सहयोग कार्यक्रमों में भारत की भूमिका
उदाहरण के लिए, सिएरा लियोन में 2000-2001 में भारत के 4,000 से अधिक जवान तैनात थे और भारत ने 2020 में वहां स्थायी दूतावास खोला था।
यूरोपीय संघ और क्षेत्रीय संगठनों के साथ संपर्क
भारत का प्रतिनिधिमंडल यूरोपीय संघ (EU) के मुख्यालय ब्रसेल्स का भी दौरा करेगा ताकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब किया जा सके। EU जैसे संगठन वैश्विक आतंकवाद पर सहमति बनाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
कूटनीतिक संदेश क्या है?
भारत का मकसद स्पष्ट है:
- पाकिस्तान के झूठ और आतंक प्रायोजन की पोल खोलना
- आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाना
- भारत की विदेश नीति को अधिक आक्रामक और प्रभावशाली बनाना
इन देशों का चयन इस प्रकार से किया गया है कि वे न केवल अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रभावशाली हैं, बल्कि भारत के साथ उनके मजबूत राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध भी हैं।