BY: Yoganand Shrivastva
खैबर पख्तूनख्वा/बलूचिस्तान — पाकिस्तान की सेना पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र में सेना द्वारा किए गए एक ड्रोन हमले में चार बच्चों की मौत हो गई है, जबकि 38 अन्य लोग घायल बताए जा रहे हैं। हमले के बाद देशभर में भारी रोष देखने को मिल रहा है। लोग पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की आलोचना कर रहे हैं और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब पाकिस्तान की सेना पहले से ही कई मुद्दों को लेकर जनता के निशाने पर है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, देर रात रिहायशी इलाकों में ड्रोन के माध्यम से बम गिराए गए। हमले के वक्त अधिकतर लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, गहरी नींद में थे।
भीषण हमले के बाद भड़का जनाक्रोश
मासूम बच्चों की मौत से नाराज़ लोगों ने मीर अली कैंटोनमेंट के बाहर प्रदर्शन कर गेट को बंद कर दिया। वहीं, पेशावर और अन्य शहरों में छात्रों ने सड़कों पर उतरकर सेना और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा साफ झलक रहा है।
सरकार और सेना की चुप्पी पर सवाल
अब तक इस घटना को लेकर सेना या सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। जब पत्रकारों ने रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से इस विषय में प्रतिक्रिया मांगी, तो वे बिना कोई जवाब दिए मौके से निकल गए। इससे लोगों का आक्रोश और भी बढ़ गया है।
पहले बताया गया आत्मघाती हमला
शुरुआती रिपोर्ट्स में इस घटना को बलूचिस्तान के कुज़दार जिले में हुए आत्मघाती हमले के तौर पर पेश किया गया था। कहा गया था कि एक स्कूल बस को निशाना बनाया गया है। लेकिन बाद में यह स्पष्ट हुआ कि यह हमला पाकिस्तानी सेना द्वारा अपने ही नागरिकों पर किया गया ड्रोन अटैक था।
पत्रकारों ने उठाए सवाल
पाकिस्तान के कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इस घटना को लेकर सेना की कार्यशैली और नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि यह कार्रवाई दर्शाती है कि पाकिस्तान की सेना अपने ही नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रही है और अब अपनी ही जनता को निशाना बना रही है।