भारतीय अरबपति पंकज ओसवाल की बेटी वसुंधरा ओसवाल ने युगांडा में अपनी अवैध हिरासत और गिरफ्तारी के अनुभव को साझा किया है। यह मामला उनके पिता के कर्मचारी मुकेश मेनारिया की कथित अपहरण और हत्या से जुड़ा था, जो बाद में तंजानिया में जीवित पाया गया।
वसुंधरा का बयान
वसुंधरा ने न्यूज एजेंसियों को बताया कि युगांडा पुलिस ने उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा, “जब पुलिस ने छापेमारी की, उनके पास सर्च वारंट नहीं था। मैंने जब वारंट मांगा, तो उन्होंने कहा, ‘यह युगांडा है, हम कुछ भी कर सकते हैं। आप यूरोप में नहीं हैं।'”
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उन्हें इंटरपोल कार्यालय ले जाया गया, जहां एक पुरुष पुलिस अधिकारी ने उन्हें जबरदस्ती वैन में डाला और कहा, “आपको आज ही आना होगा, कल का इंतजार नहीं होगा।” वसुंधरा ने बताया कि उन्हें बिना आपराधिक वकील के केवल एक सिविल वकील की मौजूदगी में बयान देने के लिए मजबूर किया गया।
हिरासत और जेल का अनुभव
बयान देने के बाद उन्हें एक सेल में बंद कर दिया गया और 30,000 डॉलर व पासपोर्ट जमा करने को कहा गया। इसके बावजूद उन्हें पुलिस बांड नहीं दिया गया और वापस उसी सेल में डाल दिया गया। अगले दिन कोर्ट से बिना शर्त रिहाई का आदेश मिलने के बावजूद, उन्हें 72 घंटे तक और अवैध रूप से हिरासत में रखा गया।
वसुंधरा ने कहा, “मुझे नहीं पता था कि मुझे किसलिए हिरासत में रखा जा रहा है।” बाद में उन्हें निचली अदालत में ‘अपहरण और हत्या का प्रयास’ के आरोप में पेश किया गया, जो उनके अनुसार गैरकानूनी था क्योंकि ऐसा मामला केवल हाई कोर्ट में चल सकता है।
जेल में बिताए दिन
उन्हें पहले दो दिन छोटे अपराधियों के साथ जेल में रखा गया, फिर एक ऐसी जेल में स्थानांतरित किया गया जहां हत्यारे और मानव तस्कर जैसे गंभीर अपराधी थे। वसुंधरा ने बताया, “मुकेश मेनारिया के 10 अक्टूबर को जीवित मिलने के बाद भी मुझे जेल में रखा गया। मुझे 21 अक्टूबर को जमानत मिली।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके व्यापारिक प्रतिद्वंद्वियों ने उनके 20 वकीलों को रिश्वत दी, जिससे उनकी कानूनी लड़ाई और मुश्किल हो गई।
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