मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल आरएन रवि के विधेयकों को रोकने को “अवैध” घोषित किया
- तमिलनाडु सरकार ने 10 विधेयकों को अधिसूचना जारी कर कानून बना दिया
- इनमें विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति से जुड़े नए नियम शामिल
- मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने फैसले को “राज्यों के लिए बड़ी जीत” बताया
पूरी खबर:
तमिलनाडु में राज्यपाल और सरकार के बीच चले लंबे विवाद का अंत सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले से हुआ है। कोर्ट ने राज्यपाल आरएन रवि द्वारा 10 विधेयकों पर अनुमति रोकने को गलत ठहराते हुए उन्हें स्वतः कानून घोषित कर दिया।
Contents
क्या था विवाद?
- तमिलनाडु विधानसभा ने ये विधेयक दो बार पारित किए थे
- राज्यपाल ने 2020 से लेकर अब तक उन पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया
- बाद में उन्होंने इन्हें राष्ट्रपति के पास भेज दिया
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास यह अधिकार नहीं था
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
- जस्टिस एसबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने स्पष्ट किया:
- राज्यपाल केवल तीन विकल्प रखते हैं: विधेयक पास करें, रोकें या राष्ट्रपति को भेजें
- एक महीने के भीतर निर्णय लेना अनिवार्य
- विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार नहीं अगर पहले ही अस्वीकार किया गया हो
कौन से विधेयक शामिल हैं?
- विश्वविद्यालय कुलपति नियुक्ति नियम: राज्यपाल की शक्तियों को सीमित करता है
- स्थानीय निकाय संशोधन: पंचायत चुनाव प्रक्रिया में बदलाव
- शिक्षा संस्थानों का विनियमन: निजी कॉलेजों पर नियंत्रण
राजनीतिक प्रतिक्रिया
- मुख्यमंत्री एमके स्टालिन:
- “यह सभी राज्यों के लिए एक बड़ी जीत है… लोकतंत्र की रक्षा हुई है।”
- डीएमके का आरोप:
- “भाजपा द्वारा नियुक्त राज्यपाल ने जानबूझकर विधेयकों को रोका।”
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
✅ 18 नवंबर 2023 से इन विधेयकों को कानून माना जाएगा
✅ सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की शक्तियों को सीमित किया, लेकिन समाप्त नहीं किया
✅ यह फैसला केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए भी मिसाल बनेगा
क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
- संविधान के अनुच्छेद 200 की स्पष्ट व्याख्या
- राज्यपालों की मनमानी पर अंकुश
- संघीय ढाँचे को मजबूती
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