भोपाल। केंद्रीय कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान को मानहानि के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने से छूट दे दी है। इसके साथ ही, अदालत ने मामले की सुनवाई 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है।

मामले की पृष्ठभूमि:
यह मामला कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर किया गया था। तन्खा ने शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। तन्खा का आरोप था कि 2012 के पंचायत चुनाव के दौरान उन्हें ओबीसी आरक्षण का विरोधी बताकर उनकी छवि खराब की गई।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल शामिल थे, ने शिवराज सिंह चौहान और अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ जारी वारंट पर रोक लगा दी। इससे पहले, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने चौहान के खिलाफ दायर मानहानि केस को खारिज करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
चौहान की दलील:
शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि जिस बयान पर तन्खा ने आपत्ति जताई है, वह विधानसभा में दिया गया था। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत, विधानसभा में दिए गए बयान के लिए किसी सदस्य पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।
तन्खा की प्रतिक्रिया:
विवेक तन्खा की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चौहान को अधीनस्थ अदालत में पेश होना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि वह अदालत में पेश नहीं होते, तो क्या होता?
महत्वपूर्ण बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी।
- मामले की सुनवाई 26 मार्च तक स्थगित।
- चौहान ने संविधान के अनुच्छेद 194(2) का हवाला देते हुए अपनी बात रखी।
- कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने 2012 के पंचायत चुनाव को लेकर मानहानि का केस दायर किया था।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शिवराज सिंह चौहान को काफी राहत मिली है। हालांकि, मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी, जिसमें और स्पष्टता आने की उम्मीद है।
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