BY: Yoganand Shrivastva
मुजफ्फरनगर में एक ढाबे पर हुए पहचान विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। जिस शख्स ने खुद को ‘गोपाल’ बताया था, उसकी असल पहचान ‘तजम्मुल’ के रूप में सामने आई है। यह खुलासा उस व्यक्ति के आधार कार्ड के ज़रिए हुआ, जिसमें उसका असली नाम तजम्मुल और पिता का नाम मकसूद दर्ज है। इस प्रकरण ने आगामी कांवड़ यात्रा से पहले सांप्रदायिक और सामाजिक बहस को हवा दे दी है।
पहचान की लड़ाई: गोपाल या तजम्मुल?
घटना की शुरुआत 28 जून को हुई, जब कुछ हिंदू संगठन ‘पहचान अभियान’ के तहत दिल्ली-देहरादून हाईवे स्थित ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ पर पहुंचे। इन लोगों ने वहां मौजूद एक कर्मचारी से धर्म और नाम को लेकर सवाल-जवाब किए। उस दौरान उस व्यक्ति ने अपना नाम ‘गोपाल’ बताया और आधार कार्ड मांगने पर बहाना बनाते हुए कहा कि कार्ड खो गया है और मोबाइल टूट गया है।
लेकिन अब सामने आए आधार कार्ड में यह स्पष्ट हो गया है कि उस व्यक्ति का असली नाम तजम्मुल है और वह मुजफ्फरनगर के बझेरी गांव का निवासी है। उसके गांव के लोगों और पड़ोसियों ने भी इस पहचान की पुष्टि की है।
ढाबा मालिक ने रखा था ‘गोपाल’ नाम
इंडिया टीवी से बातचीत में तजम्मुल ने खुलासा किया कि ढाबा मालिक सनव्वर ने ही जबरन उसका नाम बदलकर ‘गोपाल’ रखा था। साथ ही, उसे हाथ में कड़ा पहनाने को भी मजबूर किया गया। तजम्मुल ने बताया कि वह पिछले डेढ़ महीने से ढाबे पर काम कर रहा है और तब उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसीलिए मालिक ने उसकी पहचान में बदलाव किया।
गांव वालों की पुष्टि: मानसिक रूप से कमजोर है तजम्मुल
इंडिया टीवी की टीम जब तजम्मुल के गांव बझेरी पहुंची, तो वहां के पड़ोसियों ने बताया कि तजम्मुल मानसिक रूप से पूरी तरह ठीक नहीं है। गांव वालों के अनुसार, ढाबा मालिक ने ही उसकी पहचान बदलकर उसे ‘गोपाल’ नाम दिया और धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल के लिए भी मजबूर किया।
कांवड़ यात्रा से पहले सुलगता मुद्दा
कांवड़ यात्रा की शुरुआत 10 जुलाई से होनी है और उससे पहले पहचान को लेकर उठे इस विवाद ने माहौल को गर्मा दिया है। हिंदू संगठनों द्वारा ‘पहचान अभियान’ के नाम पर ढाबों और दुकानों पर धर्म पूछे जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे तनाव बढ़ने की आशंका है।
राजनीति ने पकड़ा तूल
घटना सामने आते ही राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है।
- सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा कि “बीजेपी और आतंकवादी एक जैसे हैं, क्योंकि दोनों ही नाम पूछकर धर्म तय करते हैं।”
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी योगी सरकार पर हमला बोलते हुए इस घटना को संविधान और सामाजिक सौहार्द के खिलाफ बताया।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
मुजफ्फरनगर पुलिस ने पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए स्वामी यशवीर महाराज की टीम के 11 लोगों को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि तजम्मुल की पहचान के साथ छेड़छाड़ की गई है। हालांकि यशवीर महाराज के अनुयायियों का दावा है कि ढाबे पर किसी के साथ कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की गई।
इस मामले में पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि कहीं ढाबा मालिक ने जानबूझकर कर्मचारी की पहचान बदलकर धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश तो नहीं की। साथ ही, कर्मचारी की मानसिक स्थिति और उसकी मर्जी को भी जांच का हिस्सा बनाया गया है।