रिपोर्टरः वंदना रावत
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के पुनर्गठन की आवश्यकता जताते हुए स्पष्ट किया है कि यह बोर्ड अब नए दौर की पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को हुई एक समीक्षा बैठक में कहा कि वर्तमान में राज्य के 75 जिलों में केवल 28 क्षेत्रीय कार्यालय कार्यरत हैं, जिसे अब मंडल स्तर पर पुनर्गठित किया जाएगा। साथ ही, प्रत्येक जिले में एक-एक कार्यालय खोला जाएगा ताकि निगरानी और कार्रवाई में तेजी लाई जा सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जिन मंडलों में औद्योगिक गतिविधियां अधिक हैं, वहां एक से अधिक रीजनल ऑफिस खोले जा सकते हैं।
विशेष प्रबंधन सेल का गठन होगा
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि बोर्ड के अंदर विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट प्रबंधन के लिए विशेष सेल बनाए जाएं। इनमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तरल अपशिष्ट प्रबंधन, खतरनाक अपशिष्ट (हैजार्ड्स वेस्ट), ई-वेस्ट और बायोमेडिकल वेस्ट जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली टीमें शामिल होंगी। इसके अलावा जनशिकायत समाधान, पर्यावरणीय रिसर्च एवं डेवलपमेंट, जन-जागरूकता और आईटी/एआई आधारित पर्यावरण निगरानी के लिए भी अलग-अलग यूनिट्स बनाई जाएंगी।
अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रक्रिया होगी तेज
बैठक में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उद्योगों को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए। अभी तक लाल, नारंगी और हरी श्रेणी के उद्योगों को NOC देने में 120 दिन लगते हैं। अब इसे घटाकर क्रमशः 40 दिन (लाल), 25 दिन (नारंगी) और 10 दिन (हरी) करने की योजना है। इसके लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करने का भी सुझाव दिया गया।
रिक्त पदों पर होगी त्वरित भर्ती
सीएम योगी ने यह भी निर्देश दिए कि यूपीपीसीबी में जो पद लंबे समय से खाली हैं, उन्हें शीघ्र भरने की प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने कहा कि आईआईटी और अन्य तकनीकी संस्थानों से योग्य युवाओं को आकर्षक वेतन पर नियुक्त किया जाना चाहिए ताकि बोर्ड की कार्यक्षमता और तकनीकी दक्षता बेहतर हो सके।
शुल्क पुनः निर्धारण पर भी विचार
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2008 के बाद से अनापत्ति और सहमति शुल्क में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। अब समय आ गया है कि इस पर भी विचार-विमर्श कर आवश्यक संशोधन किया जाए, जिससे बोर्ड को आर्थिक रूप से भी मजबूती मिले।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को न केवल और अधिक सक्रिय बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है, बल्कि आधुनिक तकनीक और प्रभावी प्रशासनिक व्यवस्था के ज़रिये इसे एक सक्षम संस्था के रूप में स्थापित करने की तैयारी हो रही है। यह पहल राज्य के पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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