रिपोर्ट- कन्हैया कुमार
धनबाद। बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह द्वारा दाखिल की गई अर्जी पर धनबाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने अहम आदेश पारित किया है। विशेष न्यायाधीश दुर्गेश चंद्र अवस्थी की अदालत ने इस मामले के अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी और अपर लोक अभियोजक (एपीपी) सत्येंद्र राय को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 8 सितंबर 2025 तय की है।
संजीव सिंह के आरोप
पूर्व विधायक संजीव सिंह ने 20 अगस्त 2025 को अदालत में एक आवेदन दाखिल किया था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि अनुसंधानकर्ता और एपीपी ने सूचक के साथ मिलकर फर्जी गवाह खड़े किए और उन्हें वैध साबित करने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार कर अदालत में प्रस्तुत किए। उनका कहना है कि यह सब उन्हें सजा दिलाने की साजिश के तहत किया गया।
अदालत की सख्ती
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। अब उन्हें अदालत में अपना जवाब दाखिल करना होगा।
बचाव पक्ष का पक्ष
संजीव सिंह के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने कहा कि अभियोजन पक्ष का दायित्व होता है कि वह निष्पक्ष रूप से न्यायालय की सहायता करे। लेकिन इस मामले में अभियोजन और अनुसंधानकर्ता ने उल्टा झूठे सबूत गढ़कर संजीव सिंह को फंसाने की कोशिश की। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय का उद्देश्य किसी भी कीमत पर आरोपी को सजा दिलाना नहीं, बल्कि सच्चाई सामने लाना है।
नीरज सिंह हत्याकांड क्या है?
21 मार्च 2017 को धनबाद के सरायढेला थाना क्षेत्र में दिनदहाड़े गोलीबारी हुई थी। इस हमले में झरिया के युवा नेता और धनबाद के डिप्टी मेयर रहे नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या कर दी गई थी। यह घटना पूरे झारखंड में सनसनी फैलाने वाली साबित हुई थी।
आरोपियों की रिहाई
करीब आठ साल तक चले लंबे मुकदमे के बाद 27 अगस्त 2025 को धनबाद जिला एवं सत्र न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
मामला फिर सुर्खियों में
अब पूर्व विधायक संजीव सिंह द्वारा लगाए गए नए आरोप और अदालत का ताजा आदेश इस केस को एक बार फिर से सुर्खियों में ले आया है। आने वाली सुनवाई में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इन आरोपों और नोटिस पर क्या रुख अपनाती है।





