भोपाल (मध्य प्रदेश): राज्य में खरीफ सीजन के दौरान उर्वरकों की कमी गंभीर हो सकती है। डीएपी (DAP) की किल्लत और एनपीके (NPK) की बढ़ती कीमतों के कारण किसानों में असंतोष फैलने की आशंका है।
इस स्थिति से निपटने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को अधिकारियों के साथ एक आपातकालीन बैठक की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सरकार अपने पास मौजूद उर्वरकों को किसानों तक पुरानी दरों पर पहुंचाएगी।
मुख्य बिंदु:
- डीएपी की कमी: राज्य में डीएपी का स्टॉक 3.5 लाख टन है, जबकि 7.5 लाख टन की आवश्यकता है। चीन से आपूर्ति रुकने के कारण भारत अब मोरक्को से डीएपी आयात कर रहा है।
- एनपीके की बढ़ती कीमतें: एनपीके की कीमत 50 किलो के बैग पर ₹1,470 से बढ़कर ₹1,720 हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी न बढ़ाए जाने से निर्माताओं ने उत्पादन कम कर दिया है।
- केंद्र से आपूर्ति में देरी: इस महीने राज्य को 1 लाख टन डीएपी और 1.5 लाख टन एनपीके आवंटित होना था, लेकिन अभी तक केवल 25,000 टन एनपीके ही मिला है।
किसानों के लिए चिंता:
- डीएपी के विकल्प के रूप में यूरिया या टीएसपी (TSP) देने पर भी बैठक में चर्चा हुई।
- सरकार ने रबी सीजन में एनपीके के उपयोग को प्रोत्साहित किया था, लेकिन अब इसकी बढ़ती कीमतों से किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।
आगे की रणनीति:
सरकार का लक्ष्य उपलब्ध संसाधनों को किसानों तक पहुंचाकर संकट को कम करना है। हालांकि, केंद्र सरकार से समय पर आपूर्ति न मिलने से स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।