मध्यप्रदेश में मेडिकल शिक्षा के ढांचे में इस साल बड़ा बदलाव हुआ है। साल 2024 की तुलना में 2025 में MBBS और BDS की सीटों में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। जहां सरकारी कॉलेजों में MBBS सीटें बढ़ी हैं, वहीं निजी कॉलेजों में बड़ी कटौती की गई है।
2025 में कुल सीटों का आंकड़ा
- MBBS सीटें: 4,775 (2024 में थीं 4,875)
- BDS सीटें: 1,233 (2024 में थीं 1,283)
इस बदलाव का सीधा असर मेडिकल स्टूडेंट्स के एडमिशन और कट-ऑफ पर पड़ने वाला है।
सरकारी कॉलेजों में 150 सीटों की बढ़ोतरी
2024 में सरकारी कॉलेजों में 2,425 सीटें थीं, जो बढ़कर 2025 में 2,575 हो गईं।
- मंदसौर, सिवनी और नीमच मेडिकल कॉलेजों में 50-50 सीटें बढ़ाई गईं।
- अब इन कॉलेजों में 100-100 MBBS सीटें उपलब्ध होंगी।
- सरकारी कॉलेजों में सीटें बढ़ने से विद्यार्थियों को कम शुल्क पर पढ़ाई का अवसर मिलेगा।
निजी कॉलेजों में 250 सीटों की कमी
निजी कॉलेजों में पिछले साल की तुलना में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
- 2024 में निजी कॉलेजों में कुल 2,450 सीटें थीं, जो घटकर 2025 में 2,200 रह गईं।
- इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की सभी 250 सीटें रद्द, कॉलेज के लिए यह साल ‘जीरो ईयर’ रहेगा।
- एलएनसीटी कॉलेज और सेवा-कुंज अस्पताल में भी 50 सीटें कम हुईं।
- सीहोर के श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी में 50 सीटों की बढ़ोतरी की गई।
विशेषज्ञों के अनुसार, निजी कॉलेजों में सीटें कम होने से ओपन कैटेगरी के छात्रों में प्रतिस्पर्धा और कट-ऑफ दोनों बढ़ेंगे।
BDS सीटों में 50 की कमी
- 2024 में निजी डेंटल कॉलेजों में 1,283 सीटें थीं, जो घटकर 2025 में 1,233 रह गईं।
- ग्वालियर के महाराणा प्रताप डेंटल कॉलेज की सीटें 100 से घटाकर 50 कर दी गईं।
आरक्षण व्यवस्था 2025
सरकारी कॉलेजों में
कुल 1,817 MBBS सीटें स्टेट कोटे के तहत आरक्षित:
- 40% अनारक्षित (UR)
- 20% अनुसूचित जनजाति (ST)
- 16% अनुसूचित जाति (SC)
- 14% अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)
- 10% आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS)
निजी कॉलेजों में
- 42% सीटें स्टेट कोटे के तहत, जिन पर वही आरक्षण लागू होगा।
- शेष 58% सीटें प्रबंधन कोटे के अंतर्गत रहेंगी, जिन पर कोई आरक्षण लागू नहीं होगा।
आगे क्या?
यह सीट चार्ट डायरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन द्वारा जारी पहला ड्राफ्ट है। आपत्तियों और सुझावों के बाद फाइनल सीट चार्ट जारी किया जाएगा।
मध्यप्रदेश में मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए 2025 चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। सरकारी कॉलेजों में सीट बढ़ने से राहत जरूर मिलेगी, लेकिन निजी कॉलेजों में कटौती के कारण प्रतियोगिता और कठिन हो जाएगी।