आज के डिजिटल युग में Instagram और YouTube जैसे प्लेटफॉर्म्स युवा पीढ़ी के लिए न सिर्फ अभिव्यक्ति का माध्यम हैं, बल्कि आमदनी का ज़रिया भी बन गए हैं। लेकिन जब ऑनलाइन लोकप्रियता की दौड़ में क़ानूनी सीमाएं लांघी जाती हैं, तब सोशल मीडिया से सीधा जेल का रास्ता भी बन सकता है।
उत्तर प्रदेश के संभल जिले से सामने आए ताज़ा मामले में Instagram पर अश्लील और गाली-गलौज भरे वीडियो पोस्ट करने के आरोप में तीन लड़कियों और एक लड़के को गिरफ्तार किया गया है। FIR भारतीय न्याय संहिता की धारा 296B और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज की गई है।
क्या है मामला?
संभल पुलिस ने Instagram अकाउंट ‘@mahek_pari143’ चलाने वाले चार युवाओं को गिरफ्तार किया है। इन पर आरोप है कि ये सोशल मीडिया पर गाली-गलौज और अश्लील कंटेंट से भरी रील्स बनाकर वायरल कर रहे थे।
मुख्य तथ्य:
- अकाउंट का नाम: Mahek Pari 143
- फॉलोअर्स: 4.6 लाख से अधिक
- गिरफ्तार लोग:
- मेहरु निसा उर्फ़ परी
- महक
- हिना
- जर्रार आलम
- आमदनी: महीने में ₹20,000–₹25,000 इंस्टाग्राम से
- मुकदमा दर्ज:
- धारा 296B (अश्लीलता फैलाने का आरोप)
- आईटी एक्ट धारा 67 (ऑब्सीन कंटेंट का प्रकाशन)
पुलिस का क्या कहना है?
संभल के एसपी कृष्ण बिश्नोई ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा:
“पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कुछ लड़कियों के अश्लील और गाली-गलौज से भरे वीडियो वायरल हो रहे थे। शिकायतें मिलने के बाद हमने जांच शुरू की और संबंधित अकाउंट्स की पहचान की। इन लोगों ने सोशल मीडिया की लोकप्रियता और आर्थिक लाभ के लिए नियमों की अनदेखी की।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन वह पूर्ण (absolute) नहीं है। समाज की नैतिकता और क़ानून के दायरे में रहना अनिवार्य है।
Mahek Pari 143 का सोशल मीडिया प्रभाव
इस मामले में मुख्य Instagram अकाउंट की शुरुआत मई 2024 में हुई थी और अब तक इसमें 500+ पोस्ट्स और वीडियो शेयर किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त:
- YouTube चैनल: Mahek Pari 143 — 4,000 से अधिक सब्सक्राइबर
- Facebook पेज: Alam Hina — 75 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स
इन प्लेटफॉर्म्स पर 18+ कंटेंट और वल्गर जोक्स पर आधारित वीडियो देखे गए हैं — जिसकी वजह से यह केस दर्ज किया गया।
क्या यह दोहरा मापदंड है?
यहां पर एक बड़ा सवाल उठता है — क्या छोटे क्रिएटर्स को ही टारगेट किया जा रहा है?
- उल्लू ऐप, मौज ऐप, और कई अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भी 18+ कंटेंट बेधड़क अपलोड होता है और लाखों लोग उसे देखते हैं।
- तो क्या इन डिजिटल क्रिएटर्स के लिए क़ानून अलग हैं और बड़ी कंपनियों के लिए अलग?
इस विवाद पर विचार करते समय हाल ही में मारी गई इन्फ्लुएंसर कमल कौर का मामला भी याद किया जा सकता है। उन पर भी अश्लील कंटेंट फैलाने का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें धमकियां दी गईं और कथित रूप से उनकी हत्या कर दी गई।
कानूनी पहलू और फंडामेंटल राइट्स
एसपी बिश्नोई के बयान में एक महत्वपूर्ण कानूनी बिंदु भी सामने आता है:
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
- लेकिन यह अधिकार पूर्ण स्वतंत्रता नहीं देता — इसके ऊपर सामाजिक मर्यादा, नैतिकता और कानून की सीमाएं लागू होती हैं।
- आईटी एक्ट की धारा 67 और IPC की धारा 296B इन्हीं सीमाओं को लागू करने का माध्यम हैं।





