नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसकी पार्टनर कंपनियों बीपी एक्सप्लोरेशन (अल्फा) लिमिटेड और NIKO (NECO) लिमिटेड से 2.81 अरब डॉलर (करीब 24,548 करोड़ रुपये) की मांग की है। यह विवाद ओएनजीसी (ONGC) के गैस ब्लॉक से केजी-डी6 ब्लॉक में कथित रूप से गैस के रिसाव से जुड़ा हुआ है।
क्या है मामला?
यह विवाद कई सालों से चल रहा है और तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस संबंध में रिलायंस और उसकी साझेदार कंपनियों को नोटिस जारी किया है। सरकार का दावा है कि ओएनजीसी के गैस ब्लॉक से केजी-डी6 ब्लॉक में गैस का अवैध रूप से दोहन किया गया, जिसके चलते सरकार को यह बकाया राशि वसूलने की जरूरत पड़ी है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की प्रतिक्रिया
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मंगलवार को इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस मांग को लेकर कानूनी सलाह ले रही है और आगे की कार्रवाई पर विचार कर रही है। कंपनी ने यह भी कहा कि वह सरकार के साथ सभी कानूनी और अनुबंध संबंधी दिशानिर्देशों का पालन कर रही है।
क्या है केजी-डी6 गैस फील्ड?
केजी-डी6 ब्लॉक भारत के पूर्वी तट पर स्थित कृष्णा-गोदावरी (KG) बेसिन का एक महत्वपूर्ण गैस उत्पादन क्षेत्र है। यह ब्लॉक रिलायंस इंडस्ट्रीज, ब्रिटिश पेट्रोलियम (BP) और NIKO के संयुक्त उपक्रम द्वारा संचालित किया जाता है। हालांकि, लंबे समय से यह क्षेत्र ओएनजीसी और रिलायंस के बीच विवादों में घिरा हुआ है।
आगे क्या होगा?
इस विवाद के चलते अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रिलायंस और सरकार के बीच यह मामला कानूनी मोड़ लेता है या किसी मध्यस्थता के माध्यम से हल किया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर रिलायंस इस दावे को चुनौती देती है, तो मामला अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता या अदालत में जा सकता है।