रिपोर्ट: देवेंद्र जायसवाल
इंदौर: फर्जी दस्तावेजों और बिना पंजीयन के चल रहे अस्पतालों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। शहर के एक अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि इंदौर में दर्जनों अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन, फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट और अन्य अनिवार्य लाइसेंसों के बिना संचालित हो रहे हैं, जो मरीजों की जिंदगी को सीधे खतरे में डाल रहा है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को 34 संदिग्ध अस्पतालों की सूची सौंपी है, जिनमें गंभीर अनियमितताओं के साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी इन अस्पतालों के संचालकों से मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं, जिससे अस्पताल बिना किसी अनुमति के लगातार चल रहे हैं।

दस्तावेज देखकर कोर्ट सख्त, विभाग को जांच के आदेश
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए फायर सेफ्टी, भवन अनुमति, मेडिकल स्टाफ की योग्यता और अन्य अनिवार्य लाइसेंसों से जुड़े प्रमाणों को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को कठोर निर्देश देते हुए कहा कि याचिका में वर्णित सभी अस्पतालों की व्यापक जांच की जाए। हर अस्पताल के दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि की जाए।
हर बिंदु पर स्थल निरीक्षण अनिवार्य है
पूरा विवरण 6 सप्ताह में रिपोर्ट के रूप में कोर्ट में पेश किया जाए, अदालत ने साफ कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह मसला सीधे नागरिकों के जीवन और सुरक्षा से जुड़ा है।
जल्द शुरू होगा निरीक्षण अभियान, कार्रवाई तय, कोर्ट के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर में बड़े स्तर पर निरीक्षण अभियान शुरू करने की तैयारी की जा रही है। नियमों का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों पर जल्द ही कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। यह कदम इंदौर शहर में संचालित अवैध और अनियमित अस्पतालों पर बड़ा शिकंजा कस सकता है।





