भारत में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति में कटौती करने का निर्णय लिया। इस रणनीतिक कदम से पाकिस्तान के पंजाब और अन्य इलाकों में जल संकट गहराता जा रहा है। सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर पाकिस्तान के बांधों में जल स्तर खतरे के निशान से नीचे जा चुका है, जिससे कृषि गतिविधियों और किसानों की चिंता बढ़ गई है।
चिनाब नदी में पानी का बहाव घटा, पंजाब में सूखे जैसे हालात
भारत द्वारा चिनाब नदी में जल प्रवाह को सीमित करने के कारण पाकिस्तान में सूखे जैसी स्थिति बन गई है, खासकर पंजाब प्रांत में।
प्रमुख तथ्य:
- मंगला और तरबेला जैसे प्रमुख डैम लगभग सूखे पड़े हैं।
- मीरपुर स्थित मंगला डैम का जल स्तर 1,163 मीटर तक गिर गया है।
- चश्मा बांध (पंजाब) में जल स्तर 644 मीटर दर्ज किया गया है।
- सियालकोट के मराला में चिनाब नदी का प्रवाह 26,645 क्यूसेक से घटकर 3,064 क्यूसेक रह गया है।
इस जल संकट का सबसे बड़ा प्रभाव पंजाब की सिंचाई प्रणाली और खरीफ फसलों की बुआई पर पड़ा है।
सिंचाई के लिए पानी नहीं, किसानों में गहराई चिंता
नदियों और नहरों में पानी की कमी से खरीफ सीजन की बुआई पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
किसानों की समस्याएं:
- सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों में जल प्रवाह में भारी गिरावट
- तापमान में बढ़ोतरी के साथ खेतों में दरारें पड़ना शुरू
- मानसून देर से आने की संभावना से सिंचाई संकट और गहराने की आशंका
जल संसाधनों की कमी और मौसम की मार से किसान भारी तनाव में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो कृषि उत्पादन में भारी गिरावट हो सकती है।
भारत ने क्यों रोका पानी?
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 23 अप्रैल को ऐलान किया कि वह सिंधु जल संधि को व्यवहार में नहीं लाएगा।
भारत की रणनीति:
- आतंकवाद और पानी को साथ चलने की इजाजत नहीं: “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते”
- पाकिस्तान की सरज़मीं से भारत में आतंकी हमलों के जवाब में सख्त कदम
- रणनीतिक रूप से सिंधु जल संधि का पुनर्विचार, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया जा सके
यह कदम भारत की सुरक्षा नीति में एक कड़ा संदेश भी माना जा रहा है कि आतंकवाद की कीमत चुकानी होगी।
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भारत की वॉटर स्ट्राइक नीति के बाद पाकिस्तान में जल संकट गंभीर रूप ले चुका है। सिंचाई व्यवस्था, फसलों की बुआई और ग्रामीण अर्थव्यवस्था इस संकट से बुरी तरह प्रभावित हो रही है। यदि मानसून समय पर नहीं पहुंचा, तो पाकिस्तान के लिए हालात और बिगड़ सकते हैं। वहीं भारत का यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से एक सशक्त और निर्णायक कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।