प्राकृतिक आपदाएं हर साल भारत में बड़ी संख्या में जनहानि और संपत्ति का नुकसान करती हैं। खासकर हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन (landslide) एक गंभीर समस्या बनी हुई है। अब राज्य सरकार इस खतरे को कम करने के लिए एक AI बेस्ड अर्ली वॉर्निंग सिस्टम विकसित करने जा रही है, जो आपदा आने से पहले ही लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने की चेतावनी देगा।
क्यों जरूरी है यह सिस्टम?
- हिमाचल प्रदेश में हर साल भारी बारिश और भूस्खलन से जान-माल का नुकसान होता है।
- आपदा के समय समय पर अलर्ट मिलने से लोग सुरक्षित जगह पहुंच सकते हैं।
- इटली की तर्ज पर भारत भी अब आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश में शुरू होगी पहल
एक रिपोर्ट के अनुसार, PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने हाल ही में बाढ़ प्रभावित मंडी जिले का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि:
- राज्य सरकार आपदा प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
- केंद्र सरकार की मदद से AI आधारित वॉर्निंग सिस्टम के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
- इस तकनीक से ग्रामीणों और पहाड़ी इलाकों में रहने वालों को समय पर चेतावनी मिल सकेगी।
इटली का मॉडल: भारत के लिए प्रेरणा
यूरोपीय देश इटली भी लंबे समय से भूस्खलन की समस्या से जूझ रहा है।
- यहां 10 लाख से अधिक लोग हाई-रिस्क वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
- क्लाइमेट चेंज के कारण भविष्य में आपदाओं का खतरा और बढ़ सकता है।
- इसे देखते हुए Environmental Research and Protection Institute (ISPRA) ने एक AI असिस्टेंट तैयार किया है।
यह चैटबॉट
- यूजर्स को IdroGEO पब्लिक प्लेटफॉर्म पर गाइड करेगा,
- भूस्खलन और अस्थिरता से जुड़ा ताज़ा डेटा प्रदान करेगा,
- साथ ही, लोगों के सवालों के जवाब भी देगा।
भारत के लिए संभावित फायदे
यदि हिमाचल प्रदेश में यह AI आधारित सिस्टम सफल रहा, तो इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है। इससे:
- आपदाओं से होने वाली जनहानि और संपत्ति का नुकसान कम होगा।
- स्थानीय प्रशासन को समय रहते राहत और बचाव कार्य शुरू करने में मदद मिलेगी।
- भारत वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन में इटली जैसे देशों की बराबरी कर सकेगा।
AI बेस्ड अर्ली वॉर्निंग सिस्टम भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। हिमाचल प्रदेश में इसकी शुरुआत से न केवल जान-माल की रक्षा होगी बल्कि यह भविष्य की आपदा प्रबंधन नीतियों के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करेगा।