REPORT: Arvind Chauhan By: Vijay Nandan
ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में शादी समारोहों के दौरान हर्ष फायरिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला शहर के घोसीपुरा इलाके से सामने आया है, जहां एक युवक ने लाइसेंसी हथियार से एक के बाद एक दो राउंड फायरिंग कर दी। यह घटना उस वक्त हुई जब शादी का जश्न चरम पर था।
हैरानी की बात यह है कि युवक की यह पूरी करतूत कैमरे में कैद हो गई और कुछ ही देर में इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में युवक को खुलेआम हर्ष फायरिंग करते देखा जा सकता है। जिस समय फायरिंग हुई, उस वक्त समारोह स्थल पर दर्जनों लोग मौजूद थे, जिससे एक बड़ा हादसा भी हो सकता था।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं और कई बार प्रशासनिक चेतावनियों के बावजूद लोग हथियार लहराने और फायरिंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
फिलहाल पुलिस ने वायरल वीडियो का संज्ञान ले लिया है और आरोपी की पहचान कर कार्रवाई की बात कही है। हालांकि यह भी जांच की जा रही है कि युवक के पास जो हथियार था, वह वास्तव में लाइसेंसी है या नहीं।
हर्ष फायरिंग की परंपरा: सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू
- शौर्य और मर्दानगी का प्रदर्शन:
- ग्वालियर-चंबल बेल्ट ऐतिहासिक रूप से वीरभूमि मानी जाती रही है। यहां शस्त्र संस्कृति गहरी जड़ें जमाए हुए है।
- शादी या खुशी के मौके पर बंदूक चलाना एक तरह से अपनी “मर्दानगी” और दबदबा दिखाने का तरीका माना जाता है।
- रुतबा और पहचान का प्रदर्शन:
- समाज में कुछ लोग हथियारों के प्रदर्शन को अपने “स्टेटस सिंबल” के रूप में दिखाते हैं। फायरिंग के जरिए वे यह जताना चाहते हैं कि उनके पास पैसा, ताकत और लाइसेंसी हथियार है।
- परंपरा बन चुकी है हर्ष फायरिंग:
- गांवों और छोटे कस्बों में यह धारणा बन चुकी है कि शादी बिना फायरिंग के अधूरी है। कई मामलों में तो दूल्हे की बारात में फायरिंग न हो तो लोग मज़ाक उड़ाते हैं।
कानूनी स्थिति: हर्ष फायरिंग है पूरी तरह गैरकानूनी
- भारतीय दंड संहिता (IPC) और आर्म्स एक्ट 1959 के तहत सार्वजनिक स्थान पर हथियारों का इस प्रकार इस्तेमाल गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है।
- लाइसेंसधारी भी केवल आत्मरक्षा के लिए हथियार रख सकता है, हर्ष फायरिंग करना लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन है।
- कई मामलों में पुलिस ने लाइसेंस रद्द किए हैं, एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन इसके बावजूद घटनाएं जारी हैं।
प्रशासनिक लचरता और कार्रवाई में ढिलाई
- अधिकतर मामलों में आरोपी “प्रभावशाली” होते हैं, जिन पर तुरत-फुरत कार्रवाई नहीं होती।
- कई बार पुलिस ऐसे मामलों को “शादी का उत्सव” कहकर हल्का ले लेती है।
- जांच और न्यायिक कार्रवाई में समय लगता है, जिससे लोग कानून से डरते नहीं।
मानसिकता और जागरूकता की कमी
- बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता होता कि हर्ष फायरिंग जानलेवा साबित हो सकती है।
- ऐसे मामलों में कई बार मासूम लोग गोली का शिकार हो जाते हैं, लेकिन समाज में इसे “दुर्घटना” मान लिया जाता है।
- सामाजिक दबाव और दिखावे की मानसिकता इसे बढ़ावा देती है।
क्या किया जाना चाहिए?
- कड़ी कानूनी कार्रवाई और लाइसेंस रद्द करना।
- स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना, खासकर शादियों के सीजन में।
- वीडियो वायरल होने पर स्वतः संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई।
- पंचायत और समाज के प्रतिष्ठित लोग इस पर सख्त रुख अपनाएं।
ग्वालियर-चंबल में हर्ष फायरिंग एक परंपरा के रूप में स्थापित हो गई है, लेकिन यह परंपरा अब खतनाक रूप ले चुकी है। कानून का डर तभी पैदा होगा जब नियमों को गंभीरता से लागू किया जाएगा और समाज खुद इस मानसिकता को बदलने की कोशिश करेगा।
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