BY: Yoganand Shrivastava
पूरे देश में जहाँ रक्षाबंधन का त्योहार खुशी और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिले इस बार बाढ़ की मार झेल रहे हैं। गंगा और उसकी सहायक नदियों में बढ़े जलस्तर ने त्योहार की खुशियों पर पानी फेर दिया है।
राखी के लिए नाव बनी सहारा
वाराणसी के वरुणा पार इलाके की मंजू देवी बताती हैं कि उनके मोहल्ले में पानी भरने के कारण उनका भाई सौरभ गुप्ता इस बार नाव से आया। सौरभ के अनुसार, “बहन ने बाढ़ के हालात देखते हुए आने से मना किया था, लेकिन साल में एक बार आने वाला यह त्योहार छोड़ना मुश्किल था, इसलिए नाव से ही पहुंच गया।”
ऐसे ही कई भाई अपनी बहनों के पास नाव से पहुंचे, वहीं कुछ बहनें भी नाव के सहारे भाई को राखी बांधने आईं। हालांकि, ज्यादातर लोगों को बाढ़ ने घरों में ही रोक दिया। पांडेयपुर हुकुलगंज के चंद्रकांत सिंह के मुताबिक, कई घरों में पानी घुसने के कारण लोग ऊपरी मंजिलों या राहत शिविरों में रह रहे हैं।
गंगा का जलस्तर अब भी ऊँचा
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, शनिवार सुबह गंगा का जलस्तर 69.8 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 71.262 मीटर से कुछ ही नीचे है।
प्रशासन की तैयारी
वाराणसी के जिलाधिकारी सतेंद्र कुमार ने बताया कि गंगा का जलस्तर बुधवार से धीरे-धीरे घट रहा है। फिलहाल, गंगा, अस्सी और वरुणा नदियों के किनारे बसे 28 वार्ड प्रभावित हैं। प्रशासन ने 24 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहाँ करीब 4,500 लोग ठहरे हुए हैं। एनडीआरएफ, जल पुलिस और स्थानीय प्रशासन मिलकर राहत कार्य में जुटे हैं।
बलिया में भी बिगड़े हालात
बलिया जिले में गंगा और सरयू नदियों का जलस्तर बढ़ने से बलिया सदर, बैरिया और बांसडीह तहसील के कई गांव पानी में डूब गए हैं। स्थानीय प्रशासन लगातार निगरानी रख रहा है और प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचा रहा है।