भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम (LRGB) ‘गौरव’ के सफल परीक्षण किए हैं। इस बम को सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से विभिन्न परिस्थितियों में टेस्ट किया गया, जिसमें यह 100 किमी तक की दूरी पर सटीक निशाना साधने में सफल रहा। इसकी मारक क्षमता 30 किमी से 150 किमी तक है, जो इसे दुश्मन के एंटी-एयरक्राफ्ट डिफेंस से दूर रहकर हमला करने में सक्षम बनाती है।
गौरव ग्लाइड बम की खासियत
- वजन एवं आकार: गौरव का वजन लगभग 1,000 किलोग्राम है, जबकि इसके साथ विकसित अन्य ग्लाइड बम ‘गौतम’ का वजन 550 किलोग्राम है।
- डिजाइन: इसकी लंबाई 4 मीटर और व्यास 0.6 मीटर है, जबकि इसके पंखों का फैलाव 3.4 मीटर है।
- मार्गदर्शन प्रणाली: यह इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और सैटेलाइट गाइडेंस (GPS) से लैस है, जिससे यह बेहद सटीक निशाना लगा सकता है।
- निर्माण: इसके विकास में आदाणी डिफेंस सिस्टम्स, भारत फोर्ज और कई MSME कंपनियों ने सहयोग दिया है।
परीक्षणों का महत्व
इन परीक्षणों में डीआरडीओ और भारतीय वायुसेना (IAF) के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, IAF और उद्योग जगत को बधाई देते हुए कहा कि यह हथियार सेना की क्षमताओं को और बढ़ाएगा।
भविष्य की योजनाएं
इन सफल परीक्षणों के बाद अब गौरव ग्लाइड बम को जल्द ही भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा। यह हथियार देश की सीमाओं की सुरक्षा को एक नया आयाम देगा।