नई दिल्ली: पिछले दिनों एलएनटी चेयरमैन ने सप्ताह में 90 घंटे कार्य का सुझाव दिया था। जिसके बाद कॉरपोरेट जगत में बहस छिड़ गई है। बता दें कि कुछ बड़े बिजनेस मैन इस सुझाव का समर्थन कर रहे है तो वहीं कुछ इसको वर्कलोड मानकर जोड़ रहे है। बता दें कि हर्ष गोयनका और राजीव बजाज ने इस विचार का विरोध किया वहीं समीर अरोड़ा ने शुरूआती करियर में लंबे समय तक कड़ी महनत का समर्थन किया। इसके साथ ही म्यूचुअल फंड की सीईओ राधिका गुप्ता ने भी अपना एक्सपीरियंस शेयर किया। उन्होंने कहा कि 100 घंटे काम किया प्रोडक्टिव नहीं थी, बाथरूम में रोती थी। उनके इस बयान के बाद आनंद महिन्द्र का भी बयान सामने आया। आनंद महिन्द्र ने कहा कि क्वालिटी जरूरी, क्वांटिटी नहीं।
90 घंटे का कार्य सप्ताह बेकार है: देविना मेहरा
फस्र्ट ग्लोबल की देविना मेहरा ने 90 घंटे के कार्य सप्ताह के सुझाव को खारिज किया। उन्होंने कहा, यह विचार कि कर्मचारी कंपनी या राष्ट्र निर्माण के लिए 90 घंटे काम करें, बिल्कुल बेतुका है। शोध यह साबित करता है कि एक सीमा से अधिक काम करने पर उत्पादकता कम हो जाती है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। उन्होंने कहा कि यह सुझाव इस बात को नजरअंदाज करता है कि अधिकतर कर्मचारियों का एक परिवार भी होता है। मेहरा ने यह भी जोड़ा कि देश को मध्यम आय वर्ग तक पहुंचने के लिए महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है।
शुरुआती करियर में कड़ी मेहनत जरूरी : समीर अरोड़ा
हेलियोस कैपिटल के संस्थापक समीर अरोड़ा भी 90 घंटे काम करने वाले सप्ताह की बहस में कूद पड़े। ष्हाँ। शुरुआत में सीखने पहचान बनाने और आगे बढ़ने के लिए दूसरों की तुलना में ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। आईआईएम के बाद अपनी पहली नौकरी मेंए मैंने दिल्ली में काम कियाए जहाँ मेरे काम के घंटे नियमित रूप से सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक थे और यात्रा के लिए हर तरफ़ से लगभग एक घंटा लगता था। मुझे इसमें बहुत मज़ा आया लेकिन फिर भी मैंने ज़्यादा समझदारी वाली नौकरी की तलाश की, अरोड़ा ने याद किया। उन्होंने अंततः एक नई नौकरी पकड़ी जहाँ लोग सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक काम करते थे और अक्सर एक घंटे पहले ष्छोड़ने के बारे में सोचने लगते थे। उन्होंने कहा, ष्यह इतना उबाऊ था कि मैं एक बार फिर अपनी पिछली फर्म में वापस चला गया।
100 घंटे भी काम किया, पर असली काम 4.5 घंटे में होता है: दीपक शेनॉय
कैपिटलमाइंड के संस्थापक और सीईओ दीपक शेनॉय ने बताया कि उन्होंने एक उद्यमी के रूप में सप्ताह में 100 घंटे काम किए हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि असली और प्रभावी काम 4.5 घंटे में ही हो जाता है।
गुणवत्ता ज्यादा जरूरी है, न कि घंटों की गिनती: राजीव बजाज
बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने कहा कि काम की गुणवत्ता मायने रखती हैए घंटे नहीं। ब्छठब्.ज्ट18 के साथ एक इंटरव्यू में राजीव बजाज ने कहा, 90 घंटे की शुरुआत ऊपर से करें।ष् उन्होंने नेताओं से अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करनेए निर्णय लेने में सुधार करने और बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को सशक्त बनाने का आग्रह किया।