Cold Start Doctrine: भारत की वो गुप्त रणनीति जो पाकिस्तान के परमाणु धमकियों को कर देगी बेअसर!

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Cold Start Doctrine

Pahalgam हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव एक बार फिर चरम पर है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा है कि भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई “अनिवार्य” है। लेकिन पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है, और वह हमेशा से भारत को परमाणु हमले की धमकी देता रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या भारत पाकिस्तान को सबक सिखा सकता है, बिना परमाणु युद्ध छिड़े?

इसका जवाब है – “Cold Start डॉक्ट्रिन”।


Cold Start डॉक्ट्रिन क्या है?

Cold Start भारतीय सेना की एक सैन्य रणनीति है, जिसका मकसद पाकिस्तान को तेजी से और सीमित सैन्य कार्रवाई के जरिए सबक सिखाना है, लेकिन इतना भी नहीं कि पाकिस्तान परमाणु हथियार इस्तेमाल करने को मजबूर हो जाए।

इसकी मुख्य बातें:

  • तेजी से हमला: पारंपरिक युद्ध में सेना को जमा होने में हफ्तों लगते हैं, लेकिन Cold Start के तहत भारतीय सेना कुछ ही घंटों में सीमा पार करके पाकिस्तान में घुस सकती है।
  • सीमित लक्ष्य: बड़े शहरों या रणनीतिक ठिकानों पर हमला नहीं, बल्कि सीमा के पास के सैन्य ठिकानों और आतंकी कैंपों को निशाना बनाना।
  • परमाणु युद्ध से बचाव: चूंकि यह कार्रवाई छोटे स्तर पर होगी, पाकिस्तान के पास परमाणु हमला करने का बहाना नहीं होगा।

Cold Start डॉक्ट्रिन की जरूरत क्यों पड़ी?

2001 में संसद हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन पराक्रम चलाया था, लेकिन सेना को सीमा पर जमा होने में करीब एक महीना लग गया। इस दौरान पाकिस्तान ने अपनी सेना तैनात कर दी और अमेरिका ने भारत पर दबाव डालकर हमला रोक दिया।

इस घटना के बाद भारत ने Cold Start डॉक्ट्रिन विकसित किया, ताकि धीमी तैनाती की समस्या दूर हो और पाकिस्तान को जवाब देने का मौका न मिले।

Cold Start Doctrine

पाकिस्तान का जवाब: “टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स”

Cold Start से बचने के लिए पाकिस्तान ने छोटे परमाणु हथियार (Tactical Nuclear Weapons – TNWs) बनाए हैं, जैसे Nasr मिसाइल। पाकिस्तान का दावा है कि वह भारतीय सेना पर इन्हें इस्तेमाल करेगा।

क्या TNWs वाकई खतरनाक हैं?

  • सीमित नुकसान: ये हथियार छोटे होते हैं और सिर्फ युद्धक्षेत्र को निशाना बनाते हैं।
  • लेकिन खतरा: एक बार परमाणु हथियार इस्तेमाल होने के बाद युद्ध बड़े स्तर पर फैल सकता है।
  • भारत की रणनीति: भारत ने TNWs नहीं बनाए, क्योंकि उसकी नीति है – “परमाणु हमले का जवाब भारी तबाही से देंगे”

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान TNWs का इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्योंकि अगर उसने ऐसा किया, तो भारत का जवाब इतना भयानक होगा कि पाकिस्तान का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।


निष्कर्ष: क्या Cold Start कारगर है?

  • हां, अगर भारत सीमित और तेज कार्रवाई करे।
  • नहीं, अगर पाकिस्तान TNWs का इस्तेमाल करने की हिम्मत करे (लेकिन यह उसके लिए आत्मघाती होगा)।

फिलहाल, Cold Start डॉक्ट्रिन पाकिस्तान को यह संदेश देता है कि भारत के पास सर्जिकल स्ट्राइक से आगे के विकल्प भी हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1. क्या भारत ने Cold Start डॉक्ट्रिन का इस्तेमाल कभी किया है?
→ नहीं, अभी तक नहीं। यह एक रणनीति है, जिसे युद्ध की स्थिति में ही अंजाम दिया जा सकता है।

Q2. क्या पाकिस्तान के पास वाकई छोटे परमाणु हथियार हैं?
→ हां, पाकिस्तान के पास Nasr जैसी मिसाइलें हैं, लेकिन उनकी वास्तविक क्षमता पर संदेह भी है।

Q3. क्या भारत को भी TNWs बनाने चाहिए?
→ भारत ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया, क्योंकि इससे परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ता है।


अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी, तो शेयर करें और कमेंट में बताएं – क्या आपको लगता है कि भारत को पाकिस्तान पर Cold Start डॉक्ट्रिन लागू करना चाहिए?

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