मध्य प्रदेश के भिंड जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। भिंड के तहसीलदार मोहनलाल शर्मा द्वारा एक ऐसा आदेश जारी किया गया, जिसमें पूरे भिंड शहर को मृत घोषित कर दिया गया। यह अजीबोगरीब मामला न सिर्फ चर्चा में आया, बल्कि अधिकारियों ने भी लापरवाही पाते हुए तहसीलदार पर कार्रवाई कर दी है।
क्या हुआ? पूरा मामला विस्तार से
- परिवार का आवेदन: भिंड के चतुर्वेदी नगर कॉलोनी निवासी गोविंद के पिता रामहेत का निधन 8 नवंबर 2018 को हुआ था। अप्रैल 2025 में परिवार को मृत्यु प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ी।
- आवेदन और आदेश: परिवार ने तहसील कार्यालय में आवेदन दिया। 5 मई 2025 को भिंड तहसीलदार कार्यालय से मृत्यु पंजीयन आदेश जारी हुआ।
- भयंकर गलती: लेकिन जब यह प्रमाण पत्र परिवार को मिला, तो उसमें तहसीलदार के हस्ताक्षर के साथ लिखा था कि पूरा भिंड शहर मृत है, न कि आवेदनकर्ता का पिता।
यह चौंकाने वाला प्रमाण पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद तहसीलदार मोहनलाल शर्मा पर कार्रवाई हुई।
तहसीलदार पर कार्रवाई और जुर्माना
- लापरवाही पाई जाने पर मोहनलाल शर्मा को पद से हटा दिया गया।
- उन्हें 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
- उनकी जिम्मेदारी अब भिंड कार्यालय अधीक्षक भू अभिलेख के रूप में सौंपी गई है।
- भिंड तहसील का कार्यभार नायब तहसीलदार देवेन्द्र सिंह को सौंपा गया।
यह कदम प्रशासन की जवाबदेही और सुधार की दिशा में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
सामाजिक और कानूनी प्रतिक्रिया
- बार एसोसिएशन की नाराजगी: भिंड बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनीत मिश्रा ने इसे बेहद गंभीर लापरवाही बताया और तहसीलदार को पद से हटाने की मांग की।
- सचिव का बयान: सचिव हिमांशु शर्मा ने कहा कि तहसील कार्यालय भ्रष्टाचार से भरा हुआ है और बिना रिश्वत के कोई प्रमाण पत्र नहीं मिलता। उन्होंने कार्रवाई की अनदेखी पर अर्थी यात्रा निकालने की भी चेतावनी दी।
यह घटना प्रशासनिक भ्रष्टाचार और लापरवाही पर सवाल उठाती है।
भिंड तहसील कार्यालय में बदलाव
जिला जनसंपर्क कार्यालय ने आदेश जारी कर मोहनलाल शर्मा को अधीक्षक भू अभिलेख पद पर तैनात किया है। तहसीलदार के पद का कार्यभार नायब तहसीलदार देवेन्द्र सिंह को सौंपा गया है। इससे उम्मीद है कि आगे ऐसी गलतियों की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
निष्कर्ष: प्रशासनिक सुधार की जरूरत
भिंड तहसीलदार द्वारा जारी यह मृत्यु पंजीयन आदेश सिर्फ एक त्रुटि नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की गवाही है। ऐसी घटनाएं जनता का प्रशासन में विश्वास कम करती हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह तेजी से सुधारात्मक कदम उठाकर जनता को बेहतर सेवा प्रदान करे।
आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि ऐसी लापरवाही से बचा जा सकता है? क्या प्रशासन में सुधार के लिए कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर दें।