बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और सेना के बीच चुनाव को लेकर मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। सेना चुनाव इस साल के अंत तक कराने की मांग कर रही है ताकि 2026 की शुरुआत तक एक निर्वाचित सरकार सत्ता में आ सके। वहीं, अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने कुछ सुधारों के आधार पर चुनाव की तारीख पर अनिश्चितता जताई है।
चुनाव की अनिश्चितता और सेना की नाराजगी
- बांग्लादेश की caretaker सरकार ने अब तक चुनाव का कोई ठोस समय तय नहीं किया है।
- सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-ज़मान ने बार-बार कहा है कि चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं, ताकि सैनिक अपने ठिकानों पर लौट सकें।
- सेना का मानना है कि देश में राजनीतिक स्थिरता केवल निर्वाचित सरकार के माध्यम से ही संभव है।
कोक्स बाजार से म्यांमार तक प्रस्तावित कॉरिडोर पर सेना का विरोध
एक विवादास्पद प्रस्ताव है, जिसमें कोक्स बाजार से म्यांमार के रखाइन राज्य तक एक कॉरिडोर बनाया जाए ताकि रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद की जा सके।
सेना प्रमुख ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि देश की संप्रभुता किसी भी हालत में समझौता नहीं हो सकती।
अंतरिम सरकार के भीतर भी मतभेद
- अंतरिम सरकार में विभिन्न शक्ति केंद्र मौजूद हैं, जिनके कारण निर्णय लेने में असंगति देखने को मिल रही है।
- नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर खलीलुर रहमान को लेकर भी विवाद है, जिन्हें इस कॉरिडोर प्रस्ताव के पीछे माना जा रहा है।
- बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने रहमान की नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठाए हैं।
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भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
- भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध इस सरकार के आने के बाद से तनावपूर्ण बने हुए हैं।
- भारत ने हाल ही में बांग्लादेश से वस्त्र आयात सीमित कर दिए हैं और कई सीमा शुल्क नीतियां कड़ी कर दी हैं।
- इन सभी घटनाओं के बीच भारत स्थिति को देख रहा है और फिलहाल इंतजार की नीति अपना रहा है।
सेना का संकल्प: कानून-व्यवस्था बनाए रखना
- सेना ने साफ किया है कि वे किसी भी प्रकार की हिंसा और अराजकता बर्दाश्त नहीं करेंगे।
- सेना का मानना है कि उनका कर्तव्य केवल राष्ट्र की रक्षा करना है, न कि शासन करना।
सारांश
बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता के लिए चुनाव जरूरी हैं, लेकिन इसके समय को लेकर सेना और सरकार के बीच मतभेद जारी हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। इन सबके बीच, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय संबंधों पर भी असर पड़ रहा है।





