Report: Arvind Chouhan, Edit: Yoganad Shrivastva
ग्वालियर: शुक्रवार को आध्यात्मिक संत एवं बागेश्वर बाबा के नाम से प्रसिद्ध पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने कार्यक्रम के तहत लोगों से रूबरू होते हुए कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद बयान दिए। बाबा बागेश्वर यहाँ से मुरैना की ओर जा रहे थे, जहाँ वे माहेश्वरी परिवार के बैकुंठ उत्सव में शामिल होंगे। उन्होंने इस दौरान कहा कि दक्षिण भारत में कुछ रावण वंशियों द्वारा राम का पुतला जलाना एक गंभीर अपराध है और इसे कतई क्षमा नहीं किया जा सकता; उनका कहना था कि ऐसे लोगों को कड़ी सजा, यहाँ तक कि फांसी, दी जानी चाहिए। बाबा ने यह भी जोर देकर कहा कि राम के राष्ट्र में अभी भी रावण के खानदान के लोग हैं, और उनके खिलाफ वहाँ की सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।
इसके साथ ही बाबा बागेश्वर ने हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना और सनातन धर्म को लेकर अपनी वकालत जारी रखी। उन्होंने बताया कि वे दिल्ली से वृंदावन तक 150 किलोमीटर की पदयात्रा 7 नवंबर से शुरू करने वाले हैं, जो लगभग 10 दिनों में पूरी होगी। इस यात्रा के दौरान उनका उद्देश्य वीआईपी कल्चर को खत्म करना और आम जनता के करीब रहना है। बाबा ने कहा कि सपने में उन्हें यह हिदायत मिली है कि उन्हें प्रदत्त शक्तियाँ आम लोगों के लाभ के लिए हैं, इसलिए कोई भी व्यक्ति कितना बड़ा वीआईपी क्यों न हो, उसे भी धाम में पंडाल में बैठकर भगवान का ध्यान करना चाहिए।
नेपाल में हुए जनरल जेड (Gen Z) के विरोध प्रदर्शन को लेकर बाबा बागेश्वर ने कहा कि वे खुद जेन जेड के बॉर्डर पर मौजूद हैं और अमेरिका और आसपास के देशों में चल रहे हंगामों के लिए उन्होंने शांति की कामना की। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके विचार में “आई लव मोहम्मद, आई लव महादेव” जैसी भावनाओं में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सर तन से जुदा जैसी मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ उनका रुख है।
इस अवसर पर बाबा बागेश्वर के विचार और कदम धार्मिक और राजनीतिक दोनों ही दृष्टिकोण से सुर्खियों में रहे। उनके बयान न केवल सनातन धर्म और हिंदू राष्ट्र पर केंद्रित थे, बल्कि उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक संदेश भी दिए, जिसमें वीआईपी कल्चर को खत्म करने और आम जनता के करीब रहने की पहल प्रमुख रही। बाबा के पदयात्रा और उनके विचार निश्चित रूप से आगामी दिनों में चर्चाओं और विवादों का विषय बने रहने वाले हैं।