report- himanshu patel, edited by: vijay nandan
रायपुर: छत्तीसगढ़ जहां एक ओर अभी भी नक्सल चुनौती से पूरी तरह उबर नहीं पाया है, वहीं अब एक और गंभीर खतरा राज्य के सामने आ खड़ा हुआ है। नेट टेरर का नया मॉड्यूल, जिसमें नाबालिग बच्चों को सोशल मीडिया के जरिए आतंक की राह पर धकेलने की साजिश रची गई। राज्य में पहली बार ऐसे मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों, साइबर मॉनिटरिंग और इंटेलिजेंस सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। दो नाबालिगों की गिरफ्तारी के बाद यह मुद्दा सियासत में भी जोरदार बहस का कारण बन गया है।

सोशल मीडिया से ब्रेनवॉशिंग, पाकिस्तान आधारित मॉड्यूल का खुलासा
एटीएस की जांच में सामने आया कि दोनों किशोरों का पाकिस्तान आधारित मॉड्यूल से सोशल मीडिया पर 4–5 वर्षों से संपर्क था। ऑनलाइन गेमिंग के दौरान उनकी बातचीत शुरू हुई और धीरे-धीरे उन्हें कट्टरपंथी विचारों से बरगलाया गया।

जांच में सामने आए प्रमुख तथ्य:
- किशोरों को हिंसक और उग्र कंटेंट वाले गेम खिलाए गए।
- “काफ़िरों के खिलाफ हिंसा” जैसे ब्रेनवॉशिंग वाले मैसेज लगातार भेजे जाते थे।
- दोनों नाबालिगों ने 100 से अधिक लड़कों का एक ऑनलाइन ग्रुप बनाया था।
- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकियों को सुरक्षा बलों की गतिविधियों की जानकारी भेजी जाती थी।
- दोनों किशोर अपने मैसेज को ‘‘इंटेल’’ बताकर साझा कर रहे थे।
- इस तरह का मामला जम्मू-कश्मीर के अलावा किसी अन्य राज्य में पहली बार सामने आया है।

एटीएस की बड़ी कार्रवाई, अधिकारी ने बताया ‘रेयर केस’
एटीएस एसपी राजश्री मिश्रा ने कहा कि नाबालिगों का इस स्तर के कट्टरपंथी नेटवर्क से जुड़ना बेहद दुर्लभ है।
जांच एजेंसियां अब इस डिजिटल मॉड्यूल के पूरे नेटवर्क को खंगाल रही हैं और कई और खुलासों की संभावना जताई गई है।
गृह मंत्री विजय शर्मा का बयान, ISIS डिजिटल लिंक की पुष्टि

राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि विस्तृत जांच के बाद एटीएस को बड़ी सफलता हाथ लगी है।
दोनों किशोर ISIS के डिजिटल मॉड्यूल से जुड़े थे और सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार संपर्क और जानकारी साझा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जांच आगे बढ़ रही है और कई बड़े खुलासे सामने आ सकते हैं।
मामले पर सियासत गरमाई, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का हमला
मामले के खुलासे के बाद राजनीति भी तेज हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र और सुरक्षा एजेंसियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि:
“ऑपरेशन सिंदूर के बाद कहा गया था कि टॉप वॉर होगा, फिर चुप्पी क्यों? दो–तीन पकड़े जाने से सवाल खत्म नहीं होते। 14–15 लोगों की जान गई, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? इंटेलिजेंस विपक्ष की जासूसी में लगी है, जनता की सुरक्षा कौन देख रहा है?”
बड़ी चेतावनी, अब बच्चों को निशाना बना रहा आतंकवाद
यह मामला न सिर्फ एक आपराधिक या साइबर अपराध का मामला है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और बच्चों के मानसिक संरक्षण के लिए एक बड़ी चेतावनी है।
आज आतंकवाद नई तकनीक, नए टारगेट और नए हथकंडों के साथ सामने है।
सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेम और डिजिटल मॉड्यूल अब आतंकियों के नए हथियार बन चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में उजागर हुआ यह ‘नेट टेरर’ मॉड्यूल बताता है कि लड़ाई सिर्फ जंगलों या सीमाओं पर नहीं, बल्कि अब हमारे बच्चों के मोबाइल स्क्रीन पर भी लड़ी जा रही है। इस खतरे से निपटने के लिए केवल गिरफ्तारी नहीं, बल्कि साइबर सुरक्षा, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और बच्चों के डिजिटल सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना जरूरी है। क्योंकि यह सिर्फ सुरक्षा का नहीं, आने वाली पीढ़ी को बचाने का सवाल है।





