BY: MOHIT JAIN
भारतीय रुपया आज डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया। सुबह के कारोबार में रुपया ₹88.49 प्रति डॉलर तक लुढ़क गया, जो दो हफ्ते पहले दर्ज किए गए रिकॉर्ड लो (₹88.46) से भी नीचे चला गया।
सुबह रुपये की शुरुआत 10 पैसे की गिरावट के साथ ₹88.41 पर हुई थी। सोमवार को यह 12 पैसे गिरकर ₹88.31 पर बंद हुआ था।
क्यों कमजोर हो रहा है रुपया?

विशेषज्ञों के अनुसार, रुपये में यह गिरावट दो बड़ी वजहों से हुई है:
- एशियन करेंसी की कमजोरी
- अमेरिकी डॉलर का लगातार मजबूत होना
इसके साथ ही अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाना और H1B वीजा फीस को $1 लाख तक कर देना भी रुपये पर दबाव डाल रहा है।
2025 में अब तक 3.25% कमजोर हुआ रुपया
साल 2025 की शुरुआत में रुपया डॉलर के मुकाबले ₹85.70 पर था। अब यह ₹88.49 तक पहुंच चुका है। यानी अब तक रुपये की वैल्यू में 3.25% गिरावट दर्ज की गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई नीतियां विशेषकर टैरिफ और वीजा फीस बढ़ोतरी—का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था और आईटी सेक्टर पर देखने को मिल रहा है।
आम जनता पर असर: महंगा होगा इम्पोर्ट और विदेश जाना
रुपये की कमजोरी का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा।
- इम्पोर्ट महंगा होगा – पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य विदेशी सामान महंगे हो जाएंगे।
- विदेश यात्रा और पढ़ाई महंगी – पहले जब ₹50 में 1 डॉलर मिलता था तो छात्र कम खर्च में पढ़ाई कर सकते थे। अब 1 डॉलर के लिए ₹88.49 चुकाने होंगे। इससे फीस, रहना और दैनिक खर्च काफी बढ़ जाएगा।
करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?
किसी भी मुद्रा की कीमत डॉलर की तुलना में घटती है तो उसे करेंसी डेप्रिसिएशन कहते हैं।
- हर देश के पास एक फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय लेन-देन किया जाता है।
- अगर भारत का रिजर्व घटेगा, तो रुपया कमजोर होगा।
- रिजर्व बढ़ेगा, तो रुपया मजबूत होगा।
- इस प्रणाली को फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहा जाता है।