जियोपॉलिटिक्स में ‘डबल स्टैंडर्ड’ कोई नई बात नहीं। लेकिन हाल ही में यूरोपीय संघ (EU) ने रूस पर 18वां प्रतिबंध पैकेज लगाकर भारत को भी अप्रत्यक्ष रूप से इसकी चपेट में ला दिया। इस बार प्रतिबंधों की सीधी मार पड़ी गुजरात की वाडिनार रिफाइनरी पर, जिसे नयारा एनर्जी संचालित करती है।
इस लेख में हम समझेंगे:
- यूरोपीय संघ ने कौन-कौन से नए प्रतिबंध लगाए हैं?
- भारत की नयारा एनर्जी पर इसका असर क्यों पड़ा?
- भारत सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही?
- इसका ग्लोबल ट्रेड और भारत की एनर्जी सुरक्षा पर क्या प्रभाव होगा?
🛢️ यूरोपीय संघ का 18वां रूस प्रतिबंध पैकेज: मुख्य बिंदु
यूरोप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर नए प्रतिबंधों का एलान किया। इस 18वें पैकेज में मुख्यत: तेल और गैस के व्यापार को निशाना बनाया गया है।
प्रमुख प्रतिबंध:
- रूसी तेल पर प्राइस कैप घटाया गया:
- पहले कैप था $60 प्रति बैरल।
- अब इसे घटाकर $47.6 प्रति बैरल कर दिया गया है।
- उद्देश्य: रूस की आय को सीमित करना।
- रूसी ऑयल से बने पेट्रोलियम उत्पादों पर EU में बैन:
- अब अगर भारत जैसे देश में रशियन ऑयल रिफाइन होकर प्रोडक्ट बने तो वो यूरोप एक्सपोर्ट नहीं हो सकेंगे।
- रशियन क्रूड ऑयल ट्रांसपोर्ट करने वाली विदेशी रिफाइनरियों और शिपिंग कंपनियों पर बैन:
- यूरोपीय कंपनियाँ अब ट्रांसपोर्टेशन, फाइनेंसिंग, इंश्योरेंस आदि में सहयोग नहीं करेंगी।
🇮🇳 भारत की नयारा एनर्जी पर सीधा असर क्यों?
🔍 वाडिनार रिफाइनरी और नयारा एनर्जी क्या है?
- स्थान: गुजरात के द्वारका ज़िले में स्थित।
- स्वामित्व: नयारा एनर्जी को पहले Essar Oil कहा जाता था।
- हिस्सेदारी: इसमें रूसी कंपनी Rosneft की 49.13% हिस्सेदारी है।
❗ क्यों पड़ी प्रतिबंधों की मार?
- नयारा एनर्जी का अधिकांश कच्चा तेल रूस से आता है।
- यूरोप का आरोप है कि यह रिफाइनरी रशियन ओरिजिन क्रूड का उपयोग कर, रिफाइंड प्रोडक्ट को यूरोप निर्यात कर रही थी।
- इसी कारण इसे पहली भारतीय रिफाइनरी के तौर पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा।
🔄 क्या Reliance जैसी दूसरी रिफाइनरियों पर असर पड़ेगा?
नहीं, फिलहाल Reliance की जामनगर रिफाइनरी पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगा है। फर्क सिर्फ इतना है:
- जामनगर रिफाइनरी में भी रशियन ऑयल प्रोसेस होता है,
- लेकिन उसमें कोई रूसी कंपनी की सीधी हिस्सेदारी नहीं है।
यानी यूरोप फिलहाल सिर्फ उन्हीं कंपनियों पर निशाना साध रहा है जिनमें रूस की मालिकाना भागीदारी है।
🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया: यूरोप का डबल स्टैंडर्ड उजागर
भारत सरकार का आधिकारिक स्टैंड:
- विदेश मंत्रालय ने EU के इस कदम की कड़ी आलोचना की।
- भारत ने साफ कहा: “हम किसी भी यूनिलैटरल (एकतरफा) सेंक्शन को नहीं मानते। हम सिर्फ UN Security Council द्वारा तय किए गए प्रतिबंधों को मान्यता देते हैं।”
डबल स्टैंडर्ड का आरोप:
भारत ने यह भी कहा कि:
- यूरोपीय रिफाइनरियां खुद भारत से डीजल इम्पोर्ट करती हैं, जो रशियन ऑयल से बना होता है।
- फिर भारत की किसी एक रिफाइनरी को अलग ट्रीट करना दोहरे मापदंड का परिचायक है।
🌐 अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भारत पर प्रभाव
🔻 व्यापारिक असर:
- नयारा एनर्जी अब अपने ईंधन उत्पाद यूरोप को नहीं बेच सकेगी।
- उसे अब अपना एक्सपोर्ट एशिया, अफ्रीका, या लैटिन अमेरिका की ओर डायवर्ट करना पड़ेगा।
💰 आर्थिक नुकसान:
- फाइनेंसिंग, इंश्योरेंस, और यूरोप के बंदरगाहों तक पहुंच में दिक्कत आ सकती है।
- भारत के कुल ईंधन निर्यात में गिरावट संभव।
🔋 एनर्जी सुरक्षा पर असर:
- भारत को सस्ती रूसी तेल आपूर्ति अब भी मिल रही है।
- लेकिन भविष्य में और अधिक पश्चिमी दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
🔮 भविष्य की चुनौतियाँ और रणनीतियाँ
संभावित समस्याएँ:
- अमेरिका भी सेकेंडरी सेंशंस लगा सकता है।
- इससे भारत, ब्राजील जैसे देशों पर दबाव बढ़ेगा।
रणनीतिक विकल्प:
- ऑयल सोर्स डाइवर्सिफिकेशन बढ़ाना होगा।
- भारत को एनर्जी डिप्लोमेसी में संतुलन बनाना होगा—रूस से किफायती तेल और पश्चिम से रणनीतिक संबंध दोनों को साधना।
🌎 वैश्विक परिप्रेक्ष्य में असर
- ग्लोबल रिफाइनरियों को अब नए सोर्स ढूंढने होंगे।
- भारत-EU FTA (Free Trade Agreement) वार्ता पर असर संभव।
- रूस की वैश्विक तेल बिक्री पर असर पड़ेगा, खासकर अब जब यूरोप जैसे बाजार सख्त हो रहे हैं।
🔚 निष्कर्ष: भारत को चाहिए रणनीतिक संतुलन
यूरोपीय संघ का यह 18वां रूस प्रतिबंध पैकेज भारत के लिए एक चेतावनी है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय रिफाइनरी को सीधे सेंक्शन का शिकार बनाया गया।
भारत को अब:
- ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा बनाए रखनी है,
- और साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्वायत्तता और रणनीतिक हितों को बचाना है।
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