BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर, ग्वालियर में एक 34 वर्षीय महिला ने दस साल तक चले शारीरिक शोषण और विवाह के झूठे वादे के आरोप में बंटी उर्फ ज्ञानचंद्र अग्रवाल के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
नाश्ते की दुकान से शुरू हुई पहचान, दोस्ती और फिर धोखा
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि 1 अगस्त 2014 को उसकी मुलाकात बहोड़ापुर की एक नाश्ते की दुकान पर नारायण कॉलोनी निवासी बंटी अग्रवाल से हुई थी। जल्द ही दोनों के बीच जान-पहचान बढ़ी और फोन पर बातचीत होने लगी। इसी दौरान, 24 अगस्त 2014 को बंटी ने उसे अपनी मां से मिलवाने के बहाने अपने घर बुलाया।
फ्रूटी में नशा मिलाकर किया पहली बार शोषण
जब युवती बंटी के घर पहुंची, तो वहां उसकी मां मौजूद नहीं थी। बंटी ने कहा कि “मां थोड़ी देर में आएंगी, तब तक ठंडा पी लो” और फ्रूटी में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे पिला दिया। पीड़िता ने बताया कि जूस पीते ही वह बेहोश हो गई और जब होश आया तो वह खुद को बिना कपड़ों के कमरे में पाई। तभी बंटी कमरे में आया और उसने माफी मांगते हुए कहा कि वह उससे शादी करेगा।
शादी का झांसा देकर 10 साल तक करता रहा शोषण
इस घटना के बाद बंटी ने शादी का वादा किया, लेकिन उसके बाद भी वह लगातार युवती का शारीरिक शोषण करता रहा। युवती ने बताया कि बंटी ने उसे कई बार अपने घर बुलाया और यौन संबंध बनाए, लेकिन विवाह को लेकर टालमटोल करता रहा।
2024 में टूटा विश्वास, दूसरी महिला से संबंध बताकर तोड़ा रिश्ता
19 फरवरी 2024 को बंटी ने एक बार फिर युवती को अपने घर बुलाया और दुष्कर्म किया। जब उसने शादी की बात की, तो आरोपी ने साफ कह दिया कि वह अब किसी और महिला के साथ रिश्ते में है और शादी नहीं कर सकता।
इसके बाद युवती ने करीब 17 महीने तक उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन जब कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो आखिरकार 15 दिन पहले उसने पुलिस को शिकायत दी। अब बहोड़ापुर थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।
कानूनी कार्रवाई शुरू, न्याय की उम्मीद
पुलिस के अनुसार, पीड़िता की शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए महिला अधिकारियों की निगरानी में जांच जारी है।
यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि कैसे झूठे वादों के जरिए महिलाओं का शोषण किया जाता है और वे वर्षों तक मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक पीड़ा झेलती हैं। अब देखने वाली बात होगी कि कानून पीड़िता को कब और कितना न्याय दिला पाता है।