दवा की स्ट्रिप पर प्रिंट की गई जानकारी जैसे एक्सपायरी डेट और बैच नंबर पढ़ना अक्सर लोगों के लिए चुनौती बन जाती है। प्रिंट का आकार बहुत छोटा होता है और चमकदार सतह पढ़ने में परेशानी पैदा करती है। इसी समस्या को खत्म करने के लिए सरकार अब एक ठोस कदम उठाने जा रही है, जिससे दवाओं को पढ़ना और समझना पहले से आसान हो जाएगा।
क्यों उठाया गया ये कदम?
- ग्राहकों की शिकायतें बढ़ीं:
लगातार यह शिकायतें मिल रही थीं कि मरीज एक्सपायरी डेट ठीक से नहीं पढ़ पा रहे हैं, जिससे उनकी सेहत को जोखिम हो सकता है। - ब्रांड और जेनेरिक दवाओं में भ्रम:
ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं को पहचानना भी आम लोगों के लिए मुश्किल होता है। - पारदर्शिता और सुरक्षा की जरूरत:
दवाओं को यूज़र-फ्रेंडली और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है।
सरकार की योजना में क्या होगा खास?
1. एक्सपर्ट कमिटी का गठन
भारत के ड्रग रेगुलेटर ने दवा की लेबलिंग को सरल बनाने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी गठित की है। यह कमिटी पैकेजिंग डिजाइन और लेबल की पठनीयता पर काम करेगी।
2. नई सब-कमिटी की सिफारिश
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की ड्रग्स कंसल्टेटिव कमिटी (DCC) ने जून महीने में इस विषय पर चर्चा की। इसके तहत एक सब-कमिटी गठित करने का निर्णय हुआ जो:
- लेबलिंग को आसान बनाने के सुझाव देगी
- पैकेजिंग सामग्री जैसे फॉयल पर ध्यान देगी
- इसमें एक पैकेजिंग एक्सपर्ट भी शामिल होगा
3. नई तकनीक पर विचार
सरकार कुछ इनोवेटिव उपायों पर भी विचार कर रही है:
- वॉयस-असिस्टेड क्यूआर कोड: मोबाइल स्कैन के जरिए एक्सपायरी और अन्य जानकारी सुनकर पता चल सकेगी
- ब्रेल कोड: दृष्टिहीन मरीजों के लिए विशेष सुविधा, जिससे वे भी दवा की जानकारी पढ़ सकें
आम लोगों को क्या फायदा होगा?
- अब मरीज दवा की एक्सपायरी डेट आसानी से पढ़ सकेंगे
- जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में फर्क करना आसान होगा
- दृष्टिहीन लोगों को भी मिलेगी दवा की पूरी जानकारी
- नकली दवाओं की पहचान और रोकथाम में मदद मिलेगी
- पारदर्शिता और यूज़र सेफ्टी में सुधार होगा
सरकार की यह पहल न सिर्फ मरीजों के लिए उपयोगी साबित होगी, बल्कि दवा उद्योग में पारदर्शिता और सुरक्षा को भी बढ़ावा देगी। आने वाले समय में जब नई लेबलिंग प्रणाली लागू होगी, तब दवा खरीदते वक्त जानकारी पढ़ना आसान और भरोसेमंद होगा।