BY: Yoganand Shrivastva
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों से लिए गए कर्ज के बोझ ने एक गरीब परिवार की खुशियां, सपने और ज़िंदगी सब छीन ली। नूरपुर थाना क्षेत्र के टेंडरा गांव में रहने वाले पुखराज ने कर्ज की बढ़ती रकम और लगातार हो रही वसूली से तंग आकर परिवार सहित जहर खा लिया। इस दुखद हादसे में पत्नी और दोनों बेटियों की मौत हो गई, जबकि खुद पुखराज अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।
सिर्फ 1.25 लाख का कर्ज, लेकिन चुकाने में फूटा परिवार
पुखराज, जो तांगा चलाकर और ईंट-भट्ठे में मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था, ने कुछ समय पहले निजी फाइनेंस कंपनियों से करीब 1.25 लाख रुपये का कर्ज लिया था। लेकिन अत्यधिक ब्याज और लगातार वसूली के चलते यह कर्ज 6 लाख रुपये तक पहुंच गया था।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, फाइनेंस कंपनियों और साहूकारों के एजेंट आए दिन घर पर आकर वसूली का दबाव बना रहे थे, जिससे पूरा परिवार मानसिक रूप से टूट चुका था। अंततः, गुरुवार को पुखराज ने अपनी पत्नी रमेशिया (50), बड़ी बेटी अनीता (19) और छोटी बेटी सविता (17) के साथ जहर खा लिया।
तीन की मौत, एक अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती
जहर खाने के बाद चारों को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से हालत गंभीर देख उन्हें बिजनौर जिला अस्पताल रेफर किया गया। वहीं रमेशिया और अनीता की अस्पताल पहुंचते ही मौत हो गई।
सविता और पुखराज को मेरठ मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां शुक्रवार सुबह सविता ने भी दम तोड़ दिया।
पुखराज की हालत नाजुक बनी हुई है और डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज जारी है।
देरी से पहुंची एम्बुलेंस, भड़का ग्रामीणों का गुस्सा
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन को समय पर सूचना देने के बावजूद एम्बुलेंस देर से पहुंची, जिसकी वजह से समय रहते इलाज शुरू नहीं हो पाया। गांव में दुख के साथ-साथ गुस्से का माहौल भी देखा गया। लोगों ने प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए।
पुलिस और प्रशासन हरकत में आया, जांच शुरू
घटना की जानकारी मिलते ही बिजनौर के एसपी अभिषेक झा और डीएम जसजीत कौर ने अस्पताल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कर्ज वसूली के नाम पर की जा रही लगातार प्रताड़ना इस घटना का मुख्य कारण बनी।
जिलाधिकारी ने बताया कि एक विशेष जांच टीम का गठन कर लिया गया है, जो यह जांच करेगी कि फाइनेंस कंपनियों की वसूली प्रक्रिया कितनी अमानवीय और अनुचित थी।
9 साहूकारों और दो कंपनियों पर मुकदमा दर्ज
घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 9 साहूकारों और दो प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को भी सौंपी जा सकती है।
एक गहरा सवाल: कब खत्म होगा ग्रामीण भारत में कर्ज का आतंक?
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में फर्जी और बेकाबू माइक्रो फाइनेंस नेटवर्क की निर्दयी सच्चाई का आइना है। गरीब और निम्न आय वर्ग के परिवारों को बिना पर्याप्त जानकारी दिए कर्ज देकर, जब उन्हें चुकाने का समय आता है तो मानसिक उत्पीड़न और धमकियों का दौर शुरू हो जाता है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए निजी कर्ज संस्थाओं पर निगरानी, कर्ज माफी की नीति की समीक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सहायता केंद्रों की स्थापना जैसे कदम उठाए जाएं।
ये मौतें सिर्फ आंकड़े नहीं, एक सिसकती हुई सच्चाई हैं
पुखराज की पत्नी और बेटियों की एक साथ उठती अर्थियां केवल एक परिवार की बरबादी नहीं हैं, यह समाज और व्यवस्था के उस हिस्से की विफलता का परिणाम है जो कर्ज को राहत की बजाय बोझ बना देता है।
जब तक आर्थिक शोषण के इस चक्र को नहीं तोड़ा जाएगा, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे — और निर्दोष जानें जाती रहेंगी।