राजनांदगांव। डोंगरगढ़ में योगाश्रम की आड़ में नशे और अनैतिक गतिविधियों में शामिल कथित ‘योगी’ तरुण उर्फ कांतिलाल अग्रवाल की कहानी ने हर किसी को हैरान कर दिया है। कभी गोवा में बारटेंडर का काम करने वाला यह व्यक्ति आज करोड़ों की संपत्ति का मालिक है और योग के नाम पर रिसॉर्ट जैसे आश्रम चला रहा है।
योग की आड़ में बड़ा खेल, पुलिस ने खोली पोल
डोंगरगढ़ में तरुण उर्फ कांति का 42 एकड़ में फैलता भव्य योगाश्रम बन रहा था। दावा किया जा रहा था कि यहां आयुर्वेदिक उपचार और योग साधना होगी। लेकिन पुलिस जांच में सच्चाई कुछ और ही निकली।
पुलिस को छापे में मिला:
- करीब 2 किलो गांजा
- पुरुषों और महिलाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आपत्तिजनक वस्तुएं
- कोई ठोस दस्तावेज नहीं जिससे उसकी योग गुरू की पहचान पुख्ता हो
गोवा से शुरू हुआ ‘कांति’ का खेल
तरुण उर्फ कांति की असल पहचान उजागर करने पर पता चला कि उसका अतीत साधारण नहीं, बल्कि काफी रंगीन रहा है।
- पहचान: असली नाम कांतिलाल अग्रवाल (उम्र 45 वर्ष)
- शुरुआत: डोंगरगढ़ में कोई खास काम नहीं किया
- बदलाव: गोवा जाकर बारटेंडर की नौकरी की
- संपर्क: वहीं कुछ लोगों से मिला, जिसने उसकी जिंदगी की दिशा बदल दी
योग गुरु बनने का दावा
कांति ने पुलिस के सामने खुद को प्रशिक्षित योग गुरु बताया है। हालांकि उसके पास इस दावे को साबित करने वाले कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं।
NGO के पैसों से खरीदी करोड़ों की जमीन?
जांच में सामने आया कि कांति ने डोंगरगढ़ में 2020-21 में 42 एकड़ पहाड़ी जमीन खरीदी। इसकी कीमत करीब 6 करोड़ रुपये बताई जा रही है। उसने दावा किया कि यह पैसा NGO के फंड से आया है।
- रजिस्ट्री के वक्त मौजूद थे विदेशी नागरिक
- परिवार को नहीं थी जानकारी कि उसकी इतनी पहुंच हो चुकी है
- विदेशियों के साथ कई बार आना-जाना करते देखा गया
संदिग्ध गतिविधियों का पर्दाफाश
24 जून को पुलिस ने डोंगरगढ़ स्थित फार्महाउस में छापेमारी की। इसमें कई आपत्तिजनक चीजें मिलने के बाद पुलिस का शक गहरा गया।
पुलिस अधिकारी का बयान:
राजनांदगांव पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने बताया कि:
- आरोपी खुद को कई NGO से जुड़ा बताता है
- कोई वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाया
- परिसर से आपत्तिजनक चीजें जब्त की गईं
- NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई जारी है
योगी या भोगी? सवाल खड़े कर रही है कांति की कहानी
तरुण उर्फ कांति का पूरा मामला बताता है कि कैसे कुछ लोग धर्म और योग की आड़ में अनैतिक गतिविधियां फैलाते हैं। जहां एक तरफ समाज में योग का महत्व और उसकी साख बढ़ रही है, वहीं ऐसी घटनाएं उस पर दाग भी लगा रही हैं।
निष्कर्ष:
कांति अग्रवाल का मामला न केवल कानून व्यवस्था बल्कि समाज के सामने भी बड़ा सवाल खड़ा करता है कि धर्म, योग या सेवा के नाम पर चल रहे संस्थानों की गंभीरता से जांच क्यों जरूरी है। फिलहाल पुलिस की कार्रवाई जारी है और लोगों को भी सजग रहने की जरूरत है।