भारत और चीन के बीच तनाव अब केवल बॉर्डर तक सीमित नहीं रहा। बीते कुछ महीनों में चीन ने भारत पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की रणनीति तेज कर दी है। इसका ताजा उदाहरण भारत के लिए जरूरी कृषि उत्पादों पर अनौपचारिक रोक है, जिससे सीधे देश की खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
चीन ने स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स पर लगाई अनौपचारिक रोक
हाल ही में खबर आई कि चीन भारत के लिए जरूरी स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स की सप्लाई ब्लॉक कर रहा है। यह कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है, लेकिन चीन की कस्टम अथॉरिटी और क्वारंटीन अधिकारी शिपमेंट्स को क्लीयर करने में जानबूझकर देरी कर रहे हैं। खास बात यह है कि वही फर्टिलाइजर्स चीन दूसरे देशों को भेज रहा है, केवल भारत के साथ ही यह व्यवधान देखने को मिल रहा है।
कौन-कौन से फर्टिलाइजर्स हो रहे हैं प्रभावित?
विशेषज्ञों के अनुसार, जिन उर्वरकों पर असर पड़ा है, वे निम्नलिखित हैं:
- वॉटर सॉल्युबल फर्टिलाइजर्स
- माइक्रोन्यूट्रिएंट्स
- नैनो फर्टिलाइजर्स
- बायोस्टिमुलेंट्स
- कंट्रोल्ड व स्लो-रिलीज फर्टिलाइजर्स
ये सभी उच्च गुणवत्ता वाले फसल उत्पादन के लिए जरूरी हैं, खासतौर पर फलों, सब्जियों और प्लांटेशन क्रॉप्स में।
भारत की चीन पर निर्भरता कितनी है?
भारत करीब 80% स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स चीन से ही आयात करता है। वजह है:
- चीन में इन उत्पादों की कीमत सस्ती है
- फॉर्मूलेशन्स की विविधता मिलती है
- बल्क वॉल्यूम की डिलीवरी तेजी से होती है
हर साल भारत लगभग 1.5 लाख टन से अधिक ऐसे उर्वरक आयात करता है, जिनमें 70-75% शिपमेंट जून से दिसंबर के बीच होता है, यानी खेती के मुख्य सीजन में।
भारत के कृषि क्षेत्र पर संभावित असर
स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स की कमी से भारत में खासतौर पर निम्न फसलों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है:
- अनार, केला, अंगूर जैसे फल
- टमाटर, आलू, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां
- चाय और कॉफी जैसी प्लांटेशन क्रॉप्स
इससे किसानों की लागत बढ़ेगी, पैदावार घटेगी और फसल की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा। नतीजतन:
- किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान
- बाजार में खाद्य उत्पादों की कीमत बढ़ने की आशंका
- देश में महंगाई का दबाव बढ़ सकता है
चीन की रणनीति सिर्फ फर्टिलाइजर तक सीमित नहीं
यह कोई पहली बार नहीं है जब चीन ने भारत के लिए जरूरी आपूर्ति पर व्यवधान डाला हो। हाल के उदाहरण:
- रेयर अर्थ मैग्नेट्स: इलेक्ट्रॉनिक्स और ईवी इंडस्ट्री के लिए जरूरी, चीन ने इसकी सप्लाई में बाधा डाली
- टनल बोरिंग मशीन: बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जरूरी मशीनों की सप्लाई में देरी
- रेयर अर्थ एलिमेंट्स: इनकी सप्लाई पर भी चीन ने रोक लगाई थी
यह दिखाता है कि चीन बिना खुली जंग के भारत पर आर्थिक और रणनीतिक दबाव बना रहा है।
भारत के सामने क्या विकल्प हैं?
शॉर्ट-टर्म समाधान
- वैकल्पिक देशों से आयात:
- जॉर्डन
- इज़राइल
- यूरोपीय यूनियन
- कनाडा
- नॉर्वे
- सरकार तत्काल अप्रूवल प्रक्रिया सरल बनाए
- किसानों के लिए सब्सिडी बढ़ाई जाए
- नॉन-चाइनीज सप्लायर्स को प्राथमिकता दी जाए
मिड-टर्म व लॉन्ग-टर्म रणनीति
- स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स में आत्मनिर्भरता बढ़ाना
- घरेलू उत्पादन के लिए R&D को प्रोत्साहन
- नैनो यूरिया, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, कंट्रोल रिलीज टेक्नोलॉजी पर फोकस
- विदेशी कंपनियों को भारत में उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना
- जॉइंट वेंचर और FDI के माध्यम से मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करना
चीन की चाल का असल मकसद क्या?
विश्लेषकों के अनुसार, यह चीन की एक बड़ी जियो-इकोनॉमिक रणनीति का हिस्सा है। चीन खुले युद्ध से बचते हुए भारत पर ‘आर्थिक हथियार’ का इस्तेमाल कर रहा है। भारत की आयात निर्भरता को leverage कर, चीन भारत की ग्रोथ और रणनीतिक योजनाओं में बाधा डालना चाहता है।
निष्कर्ष: भारत के लिए वेक-अप कॉल
स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स पर चीन की अनौपचारिक रोक भारत के लिए सीधा संकेत है कि अब सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन जरूरी है। सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को मिलकर:
✅ विकल्प तैयार करने होंगे
✅ घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना होगा
✅ विदेशी निवेश आकर्षित करना होगा
तभी भारत अपनी खाद्य सुरक्षा और आर्थिक संप्रभुता बनाए रख सकेगा।