BY: Yoganand Shrivastva
भोपाल : भोपाल के कोलार क्षेत्र स्थित अकबरपुर गांव की एक विवादित ज़मीन को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच तनातनी तेज़ हो गई है। इस ज़मीन पर कांग्रेस नेता अश्विनी श्रीवास्तव एक हाईटेक गौशाला बनाना चाहते हैं। लेकिन जैसे ही भूमि पूजन हुआ, मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि यह भूमि कब्रिस्तान के रूप में वक्फ बोर्ड के अंतर्गत दर्ज है।
इस ज़मीन की क़ीमत लगभग 100 करोड़ रुपये आंकी जा रही है, और इसी वजह से यह इलाके में गर्म राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुकी है।
भूमि पूजन के साथ शुरू हुआ बवाल
हाल ही में अश्विनी श्रीवास्तव द्वारा गौशाला निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। लेकिन उसके तुरंत बाद ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी सहित मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उनका दावा है कि यह ज़मीन वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में कब्रिस्तान के रूप में दर्ज है, और इसमें कई पुरानी कब्रें भी मौजूद हैं।
प्रदर्शनकारियों ने प्रतीकात्मक अर्थी निकालकर विरोध जताया और वक्फ कार्यालय के बाहर “गायब होते कब्रिस्तान, कहां दफन हों इंसान?” जैसे बैनर लेकर प्रदर्शन किया।
किसका है दावा?
- हिंदू पक्ष: अश्विनी श्रीवास्तव का दावा है कि यह भूमि उनकी स्वामित्व वाली है, और उन्होंने इसे समाज सेवा के उद्देश्य से गौशाला के लिए समर्पित किया है।
- मुस्लिम पक्ष: ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के संरक्षक शमशुल हसन बल्ली का आरोप है कि यह कब्रिस्तान की भूमि है और स्थानीय विधायक को गुमराह करके यहां निर्माण कराया जा रहा है।
बल्ली ने कहा कि यहां गौशाला बनने से धार्मिक भावनाएं आहत होंगी और गंदगी फैलेगी। उन्होंने आंदोलन और न्यायालय का रुख करने की बात कही है।
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज
- BJP विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा, “यह जमीन सरकारी है। नवाबी दौर में यहां हिंदू बच्चों को दफनाया जाता था। यह 100 करोड़ की सरकारी ज़मीन हड़पने की कोशिश है। ये उनके अब्बा की ज़मीन नहीं है। यहां गौशाला ही बनेगी।”
- वहीं, कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भाजपा विधायक पर जमीन पर कब्ज़े का आरोप लगाया और कहा कि यह भूमि वक्फ संपत्ति है।
स्थानीय निवासियों का क्या कहना है?
स्थानीय लोगों ने मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज करते हुए कहा कि वे 15-20 वर्षों से यहां रह रहे हैं और आज तक यहां कब्रिस्तान नहीं देखा। उनका कहना है कि चारों तरफ हिंदू बस्ती है, और यहां बच्चे खेलते हैं, ऐसे में कब्रिस्तान का कोई इतिहास नहीं रहा।
मामले की अगली दिशा क्या होगी?
अब यह मामला सियासी तूल पकड़ चुका है। एक तरफ विकास और गोसेवा की बात है, दूसरी तरफ धार्मिक भावनाओं और वक्फ बोर्ड की संपत्ति का मामला। यह स्पष्ट है कि बिना वैधानिक दस्तावेज़ और प्रशासनिक हस्तक्षेप के इस विवाद का समाधान संभव नहीं है।