BY: Yoganand Shrivastva
- हाईकोर्ट ने IAS संघप्रिय गौतम की नियुक्ति को अवैध करार दिया
- नगर निगम में कार्यरत 61 डेपुटेशन कर्मचारियों को वापस भेजने का आदेश
- 15 दिनों में सभी को अपने मूल विभाग में लौटना होगा
- स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर विवाद के बाद शुरू हुआ मामला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए ग्वालियर नगर निगम आयुक्त IAS संघप्रिय गौतम की नियुक्ति को अवैध करार दिया है। इसके साथ ही, 61 डेपुटेशन पर तैनात कर्मचारियों को भी अपने मूल विभाग में लौटने का निर्देश दिया गया है।
इस फैसले का असर केवल ग्वालियर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे प्रदेश के नगर निगमों में पदस्थ आयुक्तों की नियुक्तियों पर भी सवाल खड़े करता है।
विवाद की जड़: गलत प्रक्रिया से हुई नियुक्ति
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि नगर निगम आयुक्त की नियुक्ति मध्य प्रदेश नगरपालिका अधिनियम की धारा 54 के तहत होनी चाहिए थी। लेकिन सरकार ने इस संबंध में आवश्यक आदेश जारी नहीं किया, जिससे यह नियुक्ति नियमविरुद्ध पाई गई।
मुख्य कारण:
- धारा 54 के तहत डेपुटेशन की औपचारिक प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।
- नियुक्ति आदेश में आवश्यक प्रक्रिया और अनुमतियाँ शामिल नहीं थीं।
डेपुटेशन कर्मचारियों पर भी गिरी गाज
सिर्फ आयुक्त की नियुक्ति ही नहीं, बल्कि नगर निगम में 61 कर्मचारी जो विभिन्न विभागों से प्रतिनियुक्ति पर (deputation) आए थे, उन्हें भी 15 दिन के भीतर वापस लौटने के आदेश जारी हुए हैं।
कोर्ट के आदेश अनुसार:
- सभी 61 अधिकारियों को नोटिस भेजा गया।
- नगर निगम को कर्मचारियों की सूची पेश करने के निर्देश दिए गए थे।
- अब हर कर्मचारी को जवाब देना होगा कि वह मूल विभाग छोड़कर नगर निगम में क्यों कार्यरत है।
विवाद की शुरुआत: स्वास्थ्य अधिकारी की गलत नियुक्ति
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर एक पशु चिकित्सक, डॉ. अनुज शर्मा की प्रतिनियुक्ति हुई।
इस पर डॉ. अनुराधा नामक MBBS डॉक्टर ने आपत्ति जताई और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनका तर्क था कि इस पद पर केवल MBBS डिग्रीधारी को ही नियुक्त किया जा सकता है, न कि पशु चिकित्सक को।
हाईकोर्ट ने इस आपत्ति को गंभीरता से लेते हुए न केवल डॉ. अनुज शर्मा की नियुक्ति को खारिज किया, बल्कि इस मौके पर नगर निगम में चल रही अन्य नियुक्तियों और डेपुटेशन पर भी सवाल खड़े कर दिए।
अदालत ने दिए यह अतिरिक्त निर्देश
- नगर निगम आयुक्त संघप्रिय गौतम को सभी नोटिस की तामील कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
- एडिशनल कमिश्नर अनिल दुबे पर झूठा शपथ पत्र देने का आरोप साबित हुआ है। उनके खिलाफ अवमानना (Contempt) की कार्रवाई पर कोर्ट बाद में निर्णय लेगा।
पूरे प्रदेश में बढ़ेगा असर?
हाईकोर्ट के इस फैसले से न केवल ग्वालियर, बल्कि मध्य प्रदेश के अन्य नगर निगम आयुक्तों की नियुक्तियों की भी पुनः समीक्षा हो सकती है। यदि कहीं भी धारा 54 के नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो सरकार को पुनः नियुक्ति आदेश जारी करने पड़ सकते हैं।
क्या कहता है मप्र नगरपालिका अधिनियम की धारा 54?
- धारा 54 के अनुसार, नगर निगम आयुक्त या अन्य उच्च पदों पर नियुक्ति केवल तभी वैध मानी जाएगी जब उसे सरकार द्वारा विधिवत डेपुटेशन आदेश के तहत नियुक्त किया गया हो।
- बिना इस प्रक्रिया के की गई नियुक्तियाँ अमान्य और अवैध मानी जाएंगी।
ग्वालियर से शुरू, पूरे प्रदेश पर असर संभव
हाईकोर्ट के इस सख्त फैसले ने मध्य प्रदेश की नौकरशाही में हलचल मचा दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस फैसले के बाद क्या अगला कदम उठाती है —
- क्या सभी आयुक्तों की नियुक्तियों की दोबारा समीक्षा होगी?
- क्या डेपुटेशन की प्रक्रिया अब और पारदर्शी बनाई जाएगी?
- क्या विभागीय जवाबदेही तय होगी?





