रिपोर्ट: प्रशांत जोशी, कांकेर
कांकेर जिला मुख्यालय सहित इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों भीषण गर्मी के साथ-साथ बिजली विभाग की अघोषित कटौती लोगों के लिए दोहरी मुसीबत बन गई है। तापमान जहां 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, वहीं लो वोल्टेज और बार-बार हो रही बिजली कटौती ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की इस अनियमितता का सबसे अधिक असर किसानों पर पड़ा है। सिंचाई के लिए आवश्यक पंपसेट बिजली के अभाव में बंद पड़े हैं, जिससे रवि फसलें समय पर पानी नहीं मिलने से सूखने लगी हैं। कई एकड़ फसलें तेज धूप में झुलस रही हैं, जिससे अन्नदाता भारी नुकसान की आशंका में डूबे हैं।
दिन के समय जब तापमान अपने चरम पर होता है, तब भी बिजली गुल होने के कारण ग्रामीणों को छाया की तलाश में पेड़ों के नीचे समय बिताना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि न तो बिजली विभाग कोई सूचना देता है और न ही समस्या के समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
स्थानीय किसानों और ग्रामीणों की मांग है कि बिजली विभाग तत्काल प्रभाव से अघोषित कटौती पर रोक लगाए और नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करे, ताकि फसलें बचाई जा सकें और आम जनजीवन को राहत मिल सके।
किसानों का यह भी सवाल है कि यदि फसलों को पानी नहीं मिला और वे नष्ट हो गईं, तो इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा? जिला प्रशासन और बिजली विभाग से इस मुद्दे पर जवाबदेही तय करने की मांग लगातार तेज हो रही है।