उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक मदरसे के निरीक्षण में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जहां 10वीं कक्षा के एक भी छात्र को अंग्रेजी में अपना नाम लिखना नहीं आता था। इस घटना ने कुछ मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर चिंता पैदा कर दी है, और प्रशासन ने संस्थान प्रबंधन को चेतावनी जारी की है। आइए, इस मामले, इसके प्रभाव और समाधान के उपायों पर विस्तार से चर्चा करें।
बहराइच मदरसे में क्या हुआ?
28 अप्रैल, 2025 को जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा ने बहराइच के बड़ी तकिया इलाके में स्थित जामिया गाज़िया सय्यदुल उलूम मदरसे का अचानक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जो तथ्य सामने आए, वे चिंताजनक थे:
- अंग्रेजी में नाम लिखने में असमर्थता: जब 10वीं कक्षा के छात्रों से अंग्रेजी में अपना नाम और मदरसे का नाम लिखने को कहा गया, तो कोई भी छात्र ठीक से नहीं लिख पाया।
- शिक्षकों की गैर-मौजूदगी: निरीक्षण के समय एक शिक्षक अनुपस्थित था, लेकिन रजिस्टर में उनकी अनुपस्थिति दर्ज नहीं थी, जिससे जवाबदेही पर सवाल उठे।
- छात्र उपस्थिति में कमी: मुंशी, मौलवी और आलिम कक्षाओं में दर्ज छात्रों की तुलना में काफी कम संख्या में छात्र मौजूद थे, जो प्रबंधन में लापरवाही की ओर इशारा करता है।
- सीमित पाठ्यक्रम: मदरसा अरबी और फारसी पर ज्यादा ध्यान दे रहा था, जबकि अंग्रेजी और अन्य आवश्यक विषयों को नजरअंदाज किया जा रहा था।
यह मामला चिंताजनक क्यों है?
10वीं कक्षा के छात्रों का अंग्रेजी में अपना नाम तक न लिख पाना, शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अंग्रेजी आज उच्च शिक्षा, रोजगार और वैश्विक संवाद के लिए एक आवश्यक कौशल है। इसे नजरअंदाज करने से छात्रों के भविष्य के अवसर सीमित हो सकते हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा ने कहा, “यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ जैसा है।”
मुख्य समस्याएं
- असंतुलित पाठ्यक्रम: अरबी और फारसी पर ज्यादा जोर, जबकि अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों की अनदेखी।
- शिक्षकों की जवाबदेही में कमी: अनुपस्थित शिक्षकों का रिकॉर्ड न रखना।
- छात्रों की कम उपस्थिति: पंजीकृत छात्रों की तुलना में कक्षाओं में कम संख्या।
क्या कार्रवाई हुई?
निरीक्षण के बाद प्रशासन ने तत्काल कदम उठाए:
- चेतावनी नोटिस: मदरसे के प्रबंधन और अनुपस्थित शिक्षक को सुधारात्मक कार्रवाई का नोटिस जारी किया गया।
- सुधार की मांग: अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि शिक्षा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
- निगरानी बढ़ाने की योजना: बहराइच में 301 मान्यता प्राप्त और 495 अमान्य मदरसों की जांच की जा सकती है।
उत्तर प्रदेश के शिक्षा तंत्र के लिए यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह घटना उत्तर प्रदेश के मदरसा शिक्षा तंत्र की बड़ी चुनौतियों को उजागर करती है। मदरसे धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र हैं, लेकिन छात्रों को आधुनिक दुनिया के लिए भी तैयार करना जरूरी है। राज्य सरकार ने मदरसों में अंग्रेजी, विज्ञान और कंप्यूटर शिक्षा को शामिल करने का प्रयास किया है, लेकिन इस तरह के मामले दिखाते हैं कि अभी बहुत कुछ सुधारना बाकी है।
बहराइच के मदरसों के बारे में तथ्य
- मान्यता प्राप्त मदरसे: 301
- अमान्य मदरसे: 495 (हालिया सर्वे में चिह्नित)
- निरीक्षण तिथि: 28 अप्रैल, 2025
- मुख्य समस्या: 10वीं के छात्र अंग्रेजी में नाम नहीं लिख पाए
मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुधारी जा सकती है?
- संतुलित पाठ्यक्रम: अरबी-फारसी के साथ अंग्रेजी, गणित और विज्ञान को शामिल करना।
- शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों को आधुनिक विषयों की ट्रेनिंग देना।
- नियमित निरीक्षण: उपस्थिति और पाठ्यक्रम की निगरानी बढ़ाना।
- अभिभावकों की भागीदारी: छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों को जोड़ना।
निष्कर्ष
बहराइच मदरसे की यह घटना शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है। धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को आधुनिक ज्ञान से लैस करना जरूरी है। यदि मदरसे इन कमियों को दूर करते हैं, तो छात्रों को बेहतर भविष्य बनाने का मौका मिलेगा।