हाल ही में मुंबई पुलिस को एक धमकी भरा फोन कॉल आया, जिसमें दावा किया गया कि शहर में बम से हमला होने वाला है। कॉल करने वाले ने खुद को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी का सदस्य बताया। इस खबर ने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया। लेकिन क्या यह धमकी वाकई गंभीर थी, या फिर यह सिर्फ एक अफवाह थी? आइए, इस मामले को गहराई से समझते हैं।
धमकी का विवरण
मंगलवार दोपहर करीब 2:30 बजे मुंबई पुलिस के कंट्रोल रूम में यह धमकी भरा कॉल आया। कॉलर ने दावा किया कि वह दाऊद इब्राहिम का करीबी है और मुंबई में बड़े पैमाने पर हमला होने वाला है। इस कॉल के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। मुंबई क्राइम ब्रांच और बोरीवली पुलिस ने मिलकर कॉलर का पता लगाया। कुछ ही घंटों में आरोपी को बोरीवली से गिरफ्तार कर लिया गया।

आरोपी का नाम सूरज जाधव है, जो बोरीवली का रहने वाला है। पुलिस के अनुसार, सूरज का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। उस पर पहले भी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 (मारपीट) और 324 (खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाना) के तहत मामले दर्ज हो चुके हैं। इतना ही नहीं, सूरज पहले भी कई बार ऐसी फर्जी कॉल कर चुका है, जिसमें उसने बम धमकियों से लेकर लाउडस्पीकर और पटाखों से जुड़े झूठे दावे किए थे। जांच में ये सभी दावे गलत पाए गए।
क्या यह पहली बार हुआ है?
ऐसी धमकी भरी कॉल मुंबई पुलिस के लिए नई नहीं हैं। इससे पहले फरवरी में भी एक कॉल आया था, जिसमें दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान उनके विमान पर हमला हो सकता है। उस वक्त भी पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत जांच शुरू की थी। हालांकि, वह कॉल भी फर्जी निकली।
इसके अलावा, 2023 में एक और गंभीर मामला सामने आया था। उस वक्त कमरान खान नाम के एक शख्स ने फोन करके दावा किया था कि दाऊद इब्राहिम ने पीएम मोदी पर 5 करोड़ और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 1 करोड़ रुपये का इनाम रखा है। कमरान ने खुद को इब्राहिम कल्याणी बताया था। बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और हाल ही में मुंबई की एक अदालत ने उसे IPC की धारा 505(2) (अफवाह फैलाना) और 506(2) (धमकी देना) के तहत दो साल की सजा सुनाई।
क्या कहती है यह घटना?
ऐसी घटनाएं न सिर्फ पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का समय बर्बाद करती हैं, बल्कि आम लोगों में भी डर और अफवाह का माहौल बनाती हैं। सूरज जाधव जैसे लोग, जो बार-बार फर्जी कॉल करते हैं, समाज में अस्थिरता पैदा करने का काम करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि ऐसे लोग बार-बार ऐसी हरकतें क्यों करते हैं? क्या यह सिर्फ ध्यान खींचने की कोशिश है, या इसके पीछे कोई बड़ा मकसद है?
पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई की, जो सराहनीय है। लेकिन यह भी जरूरी है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून और जागरूकता अभियान चलाए जाएं। साथ ही, हमें यह समझना होगा कि हर धमकी को गंभीरता से लेना जरूरी है, क्योंकि अगर एक भी धमकी सच निकली, तो उसका नुकसान बहुत बड़ा हो सकता है।
निष्कर्ष
मुंबई पुलिस ने इस धमकी को फर्जी साबित कर दिया, लेकिन यह घटना हमें सतर्क रहने की याद दिलाती है। हमें अफवाहों पर ध्यान देने के बजाय तथ्यों पर भरोसा करना चाहिए। साथ ही, पुलिस और प्रशासन को ऐसे मामलों में और सख्ती बरतनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।
आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि ऐसी फर्जी कॉल करने वालों के लिए और सख्त सजा होनी चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।