उत्तरकाशी में भूकंप का झटका
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में शुक्रवार सुबह 7:42 बजे भूकंप का झटका महसूस किया गया। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 मापी गई। भूकंप का झटका इतना तेज था कि लोग घरों से बाहर निकलने को मजबूर हो गए।
भूकम्प का समय प्रातः- 07:41:51 IST
भूकम्प की तीव्रता- 02.07
अक्षांश: 30.73 N
देशांतर: 78.46 E
गहराई: 05 किमी0
भूकम्प का केंद्र बिंदु- तहसील भटवाड़ी के ग्राम तिलोथ के वन क्षेत्र मे था।
भूकम्प का समय प्रातः- 08:18:28 IST
भूकम्प की तीव्रता- 03.05
अक्षांश: 30.85N
देशांतर: 78.60E
गहराई: 05 किमी0
भूकम्प का केंद्र बिंदु – तहसील भटवाड़ी के दायरा बुग्याल के वन क्षेत्र में था।
जनपद अन्तर्गत दो बार भूकम्प के झटके महसूस किये गये हैं। समस्त तहसील/थाना, चौकियों द्वारा दूरभाष पर ली गयी सूचनानुसार जनपद में जिला मुख्यालय व मनेरी, तहसील भटवाड़ी/डुंडा कुछ क्षेत्र में भूकम्प के हल्का झटके महसूस किये गये व अन्य तहसील क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस नही हुये हैं। जिसमे वर्तमान समय मे किसी प्रकार की क्षति की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। जनपद में कुशलता हैं।
1991 के विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा
उत्तरकाशी में भूकंप ने 1991 के भयंकर भूकंप की यादें ताजा कर दीं। इस भूकंप के बाद से उत्तरकाशी में 70 से अधिक छोटे भूकंप दर्ज किए जा चुके हैं। यह बार-बार होने वाले भूकंप यहां के लोगों के लिए बड़ी चिंता का कारण बन गए हैं।

वरुणावत पर्वत और भूस्खलन का खतरा
भूकंप के दौरान वरुणावत पर्वत से पत्थर गिरने की घटनाएं देखने को मिलीं। वरुणावत पर्वत पहले से ही भूस्खलन के लिए कुख्यात है। हालांकि, इस बार किसी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
भूकंप के डर से लोग सतर्क
उत्तरकाशी में भूकंप के झटकों के बाद लोग सतर्क हो गए हैं। प्रशासन ने भी लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने और सतर्क रहने की अपील की है। भूकंप के संभावित खतरों को देखते हुए प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।
भूकंप का यह साल का दूसरा झटका
इस साल उत्तरकाशी में यह दूसरी बार है जब भूकंप ने लोगों को डराया। बार-बार आने वाले भूकंप के झटकों ने यहां के लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
हिमालय में आए प्रमुख भूकंपों का इतिहास
हिमालय क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से एक संवेदनशील क्षेत्र है, जहां भूकंप आने की संभावना हमेशा बनी रहती है। यहां अब तक कई बड़े भूकंप आ चुके हैं:
- 1934 का बिहार-नेपाल भूकंप: इस भूकंप की तीव्रता 8.0 थी, जिसमें बिहार और नेपाल के कई इलाकों में भारी तबाही हुई थी।
- 1950 का असम भूकंप: इसे इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है, जिसकी तीव्रता 8.6 थी। इसने असम और तिब्बत के इलाके को बुरी तरह प्रभावित किया।
- 1991 का उत्तरकाशी भूकंप: 6.6 तीव्रता का यह भूकंप उत्तरकाशी जिले में आया, जिससे सैकड़ों जानें गईं और व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ।
- 1999 का चमोली भूकंप: चमोली जिले में आए इस भूकंप की तीव्रता 6.8 थी, जिसमें कई लोग मारे गए और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ।
- 2015 का नेपाल भूकंप: 7.8 तीव्रता के इस भूकंप ने नेपाल के साथ-साथ भारत के कई इलाकों को हिला दिया। इसमें हजारों लोगों की जान गई।
हिमालय क्षेत्र की यह भौगोलिक अस्थिरता यहां रहने वाले लोगों के लिए एक चुनौती है। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में भी इस क्षेत्र में भूकंप की संभावना बनी रहेगी। लिहाजा सतर्कता और जागरूकता ही इससे निपटने का सबसे कारगर उपाय है।
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