‘एमपी के मोहन’ की ‘पार्थ योजना’ का गीता से संबंध
Madhya Pradesh Parth Yojana: भगवान श्रीकृष्ण महाभारत युद्ध के दौरान धनुधारी अर्जुन से कहते हैं… हे पार्थ..उस दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने जो मार्ग अर्जुन को बताया वह उपदेश श्रीमदभागवत गीता के रूप में महाग्रंथ बना है, लेकिन उद्बोधन शब्द यानि ..’हे पार्थ’ इनदिनों मध्य प्रदेश के युवाओं में मशहूर हो गया है। उस युग यानि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के मुख से ‘हे पार्थ’ शब्द निकला था। इस युग यानि कलयुग में ‘मध्य प्रदेश के मोहन’ यानि सीएम डॉ. मोहन यादव के मुख से ‘पार्थ’ शब्द निकला है, जो हर युवा की जुबान पर चढ़ गया है। ‘पार्थ’ शब्द मध्य प्रदेश में शुरू किए गए युवाओं के लिए रोजगारोन्मुखी नवाचार के कारण सुर्खियां बटोर रहा है।

8 जनवरी 2025 को पार्थ योजना लॉन्च
सीएम डॉ मोहन यादव ने पार्थ योजना 8 जनवरी को राजधानी भोपाल में राज्य स्तरीय युवा महोत्सव कार्यक्रम में लॉन्च की है। प्रदेश के सभी रीजन में भी पार्थ योजना की शुरुआत कर दी गई है। इस योजना के अतंर्गत युवाओं को पैरामिलिट्री फोर्स, पुलिस, सेना में भर्ती होने के लिए प्रशिक्षण के साथ-साथ अन्य मदद भी उपलब्ध कराई जाएगी।
युवाओं को ऐसे रोजगार मुहैया कराने में मददगार पार्थ योजना
मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने राज्य के यूथ के लिए पार्थ योजना लॉंच की है। इस योजना के तहत प्रदेश के युवाओं को सेना, पुलिस-पैरामिलिट्री फोर्स की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस योजना में फिजिकल ट्रेनिंग से लेकर युवाओं को परीक्षा तक की पूरी तैयारी करवाई जाएगी। पार्थ योजना (PARTH) का पूरा अर्थ है, पुलिस आर्मी रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग एंड हुनर।
(PARTH) पार्थ योजना का इन्हें मिलेगा लाभ
डॉ. मोहन सरकार की पार्थ योजना में राज्य का कोई भी युवा आवेदन कर सकता है। इस योजना के लिए प्रदेश सरकार ने कोई कड़े नियम शर्तें नहीं रखे हैं। योग्य उम्मीदवार योजना के अंतर्गत ऑनलाइन फॉर्म भर सकता है। इसके लिए एक निर्धारित फीस भी तय की गई है, उसके बाद उस युवा को योजना में आवेदन हो जाएगा और उन्हें अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
पार्थ (पुलिस आर्मी भर्ती प्रशिक्षण और हुनर) योजना को भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत में अर्जुन के बीच हुए संवाद से प्रेरणा मिली है। भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को “पार्थ” कहकर संबोधित किया, जो अर्जुन के नामों में से एक है और जिसका अर्थ है “पृथ्वी की संतान”।
महाभारत के युद्ध क्षेत्र में अर्जुन को अपने कर्तव्यों और धर्म के प्रति संदेह हुआ था, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता के माध्यम से प्रेरित किया और अपने कर्तव्यों को निभाने की शिक्षा दी। उन्होंने अर्जुन को आत्मविश्वास, ज्ञान और साहस का पाठ पढ़ाया, जिससे अर्जुन ने अपने धर्म का पालन किया और विजय प्राप्त की।

पार्थ योजना और गीता का संबंध:
- कर्तव्य की प्रेरणा:
गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह सिखाया कि कर्तव्य से विमुख नहीं होना चाहिए। पार्थ योजना युवाओं को अपने कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करती है, चाहे वह देश की सेवा हो, समाज का कल्याण हो, या आत्मनिर्भर बनने का प्रयास। - साहस और आत्मविश्वास:
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने भीतर छिपे साहस और शक्ति को पहचानने का पाठ पढ़ाया। पार्थ योजना का उद्देश्य भी यही है कि युवाओं को उनके भीतर की क्षमताओं का अहसास कराकर उन्हें आत्मनिर्भर और सक्षम बनाया जाए। - ज्ञान और हुनर का समावेश:
गीता का ज्ञान अर्जुन को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। पार्थ योजना युवाओं को शारीरिक प्रशिक्षण के साथ-साथ लिखित परीक्षा और व्यावसायिक कौशल का ज्ञान प्रदान करती है, जिससे वे अपने जीवन में सफल हो सकें। - समर्पण और अनुशासन:
भगवद गीता में अनुशासन और समर्पण का महत्व समझाया गया है। पार्थ योजना युवाओं को अनुशासन के साथ प्रशिक्षण प्रदान करती है और उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए तैयार करती है। - पार्थ योजना का आध्यात्मिक संदेश:
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई शिक्षा हमें यह सिखाती है कि जीवन में हर संघर्ष हमें हमारी वास्तविक क्षमता तक पहुंचने का अवसर देता है। पार्थ योजना इसी विचार को युवाओं के जीवन में लागू करती है। यह योजना सिर्फ शारीरिक और मानसिक तैयारी नहीं करती, बल्कि यह युवाओं को उनके जीवन के उच्चतम उद्देश्य तक पहुंचने के लिए प्रेरित करती है।
ये योजना भगवान कृष्ण की तरह एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाती है, जो युवाओं को उनके लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सही दिशा प्रदान करती है।
अर्जुन से प्रेरित युवा:
पार्थ योजना के तहत तैयार होने वाले युवा अर्जुन की तरह दृढ़ निश्चय, साहस और समर्पण के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे।
जिस प्रकार अर्जुन ने युद्धभूमि में अपनी जिम्मेदारियों को निभाया, उसी प्रकार पार्थ योजना के प्रशिक्षित युवा देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे।
इस प्रकार, पार्थ योजना न केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, बल्कि यह गीता के आदर्शों को जीवन में उतारने और युवाओं को “पार्थ” बनने की प्रेरणा देती है।
अगर आप इस योजना का हिस्सा बनना चाहते हैं और अपने जीवन में गीता के संदेशों को आत्मसात करना चाहते हैं, तो इस यात्रा की शुरुआत करें। जय श्रीकृष्ण!
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