संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण दिया। भाषण में पीएम मोदी ने संविधान के महत्व के साथ ही मोदी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बात की। पीएम के भाषण को जहां बीजेपी सांसदों ने ऐतिहासिक बताया तो वहीं विपक्ष ने पीएम मोदी के भाषण पर अलग-अलग प्रतिक्रिया दी।
जानते है विपक्ष के सांसदों की प्रतिक्रिया…
वंशवाद की आलोचक पार्टी में वंशवाद की भरमार: अखिलेश यादव
सपा सांसद अखिलेश यादव ने मोदी के बयान पर कहा कि, ‘भाषण 11 जुमलों का दोहराव था। ये बहुत लंबा भाषण था। आज हमें 11 जुमलों की शपथ सुनने को मिली। वंशवाद की राजनीति की आलोचना करने वालों की पार्टी में वंशवाद की भरमार है। सच्चाई यह है कि एससी/एसटी, ओबीसी और दलितों का आरक्षण खत्म कर दिया गया है। जल्द ही एक दिन आएगा जब जाति जनगणना होगी और लोगों को उनकी आबादी के हिसाब से उनके अधिकार और सम्मान मिलेंगे’।
सरकार अडाणी के लिए चल रही: केसी वेणुगोपाल
कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल ने सरकार पर सीधा प्रहार किया और पीएम मोदी के भाषण को बेदम करार दिया। उन्होंने कहा कि, ‘ये कांग्रेस के खिलाफ सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप का खेल था। कल और आज हमने उजागर किया कि, उनकी सरकार अब अडाणी के लिए चल रही है। वे संविधान की बात करते हैं लेकिन इसका इस्तेमाल एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए कर रहे हैं, एकाधिकार बना रहे हैं। जब हम संसद में संविधान पर चर्चा करते हैं, तो वे इसका कोई सम्मान नहीं करते’।
पीएम का ध्यान केवल गांधी परिवार पर: मल्लू रवि
कांग्रेस सांसद मल्लू रवि ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, ‘भाषण के दौरान प्रधानमंत्री गांधी परिवार पर अड़े रहे। वे जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की आलोचना करते रहते हैं। उनका ध्यान केवल गांधी परिवार पर है, जिसने इस देश को स्वतंत्रता और संविधान दिलाया। हम इससे परेशान हैं’।
ऐसा भाषण पीएम के लिए उचित नहीं: प्रणीति शिंदे
कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने कहा कि, ‘पीएम का पूरा भाषण सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप का खेल था। ऐसा भाषण प्रधानमंत्री के लिए उचित नहीं है। मैं हैरान हूं कि उन्होंने एक बार भी धर्मनिरपेक्ष शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। उन्हें याद रखना चाहिए कि वह संविधान के जरिए प्रधानमंत्री बने हैं, जिसकी नींव कांग्रेस ने रखी थी’।
उन्होंने वही कहा जो चाहते थे: सौगत रॉय
टीएमसी सांसद सौगात रॉय ने कहा कि, ‘उन्होंने वंशवाद के खिलाफ बात की, लेकिन दंगों या महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों के बारे में सवालों का जवाब नहीं दिया। उनका भाषण आक्रामक था, लेकिन उन्होंने केवल वही कहा जो वे चाहते थे’।